पूरी रात चली कार्रवाई फिर भी नहीं ध्वस्त हो सका माफिया कुंटू का मकान
रात दो बजे तक भारी फोर्स के साथ डटे रहे एसडीएम और सीओ
बाहर से आयी मशीनें भी हुई लाचार
जनसंदेश न्यूज
आजमगढ़। लखनऊ के कठौता चैराहे पर बुधवार की देर शाम विधायक सीपू सिंह हत्या काण्ड के चश्मदीद गवाह अजीत सिंह की हत्या के बाद जैसे ही जेल में निरूद्ध माफिया कुंटू सिंह का नाम आने की बात सामने आयी, जिला व पुलिस प्रशासन तेजी से कार्रवाई में जुट गया। डीएम और एसपी कई थानों की फोर्स के साथ जीयनपुर कस्बा स्थित कुंटू के मकान को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी। लेकिन पूरी रात चली कार्रवाई में उक्त मकान पूरा ध्वस्त नहीं हो सका जिसका चैथाई हिस्सा ही प्रशासन ध्वस्त कर पाया। ध्वस्तीकरण में पूरा प्रशासन हांफता नजर आया क्योंकि मकान की मजबूती के आगे प्रशासन से लेकर मशीने भी पूरी तरह से लाचार दिखी। देर रात प्रशासन वापस चला गया।
अजीत की हत्या के बाद भारी फोर्स के साथ जिला व पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी जीयनपुर कस्बा पहुंच कर जेसीबी मशीन द्वारा माफिया कुंटू के मकान को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी। कस्बे को पूरी तरह से सील कर दिया गया था। आजमगढ़ से गोरखपुर और गोरखपुर से आने वाले सभी वाहनों को डायवर्ट करते हुए चुनहवां मोड़ व रजादेपुर मोड़ से डायवर्ट कर दिया गया था। तीन-चार जेसीबी मशीनों से लगातार तोेड़ा जा रहा था फिर भी मशीने कारगर नहीं हो सकी। देर रात बाहरी जनपदों से पोकलैण्ड जैसी बड़ी मशीने मंगायी गयी। रात दो बजे तक चली कार्रवाई के बाद भी मकान का एक ही हिस्सा ध्वस्त हो सका। हर मशीने किले के रूप में बनाये गये मकान के सामने फेल होती रही। वहीं मशीनों के अभाव में प्रशासन पूरी तरह लाचार दिखा। जबकि मौके पर एसडीम सगड़ी, सीओ सगड़ी सहित रौनापार, बिलरियागंज, जीयनपुर, महराजगंज, तहबरपुर सहित अधिकांश थानों के एसएचओ भारी फोर्स के साथ पूरी रात लगे रहे। पीएसी की कंपनी भी लगा दी गयी थी। फिर भी मकान पूरी तरह से ध्वस्त नहीं हो सका।
डेढ़ दशक पूर्व से कुंटू की कायम है बादशाहियत
आजमगढ़। लगभग डेढ़ दशक पूर्व प्रमुख पद के चुनाव को लेकर कुंटू ने अपना हाथ आजमाना शुरू किया। उस समय अपनी मां विद्यावती देवी को ब्लाक प्रमुख बनाने के साथ-साथ अपने खुद ज्येष्ठ प्रमुख बन गया था। डेढ़ दशक पूर्व से जरायम की दुनियां में तेजीसे कदम रखने वाला कुंटू पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आज तो वह जनपद ही नहीं प्रदेश स्तर की टापटेन अपराधियों की सूची में नाम दर्ज करा चुका है। उसकी बादशाहियत इस बात से पता चलती है कि हर पंचायत चुनाव से लेकर जिला पंचायत चुनाव में खूब चलती है। जिसको चाहता है प्रमुख, जिसको चाहता है महाप्रधान जितवा लेता है। लेकिन डेढ़ दशक से पुलिस लगातार उसके आपराधिक साम्राज्य को खत्म करने का प्रयास तो कर रही है लेकिन सफल नहीं हो पायी है। दूसरी तरफ कुंटू लगातार एक के बाद एक दुस्साहसिक घटना को अंजाम दिलाने में सफल होता रहा है।
चुनौती देने वालों को हटवा दिया रास्ते से
आजमगढ़। माफिया कुंटू सिंह के आपराधिक साम्राज्य और बादशाहियत का कुछ यूं नजारा नजर आता है कि जिसने भी उसे चुनौती देने की कोशिश की, उसे रास्ते से हटवा दिया। लखनऊ में हुई अजीत की हत्या के तार आजमगढ़ से जुड़े होने के साथ-साथ जेल में बंद कुंटू के ऊपर दर्ज मुकदमें से यह साफ हो जाता है कि जिसने उसके खिलाफ सर उठाया, वह दुनियां से उठ गया। यदि हम 2015 से लेकर अब तक की बात करें तो 2015 में अजमतगढ़ ब्लाक प्रमुखी के चुनाव में कुंटू सिंह के विरूद्ध चुनाव लड़ने वाले महेंद्र यादव की हत्या में भी कुंटू का नाम आया। शहर में हुई मिंटू सिंह, जीयनपुर कोतवाली के छपरा निवासी डमरू सिंह, सगड़ी के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू व लखनऊ में हुई सीपू के गवाह अजीत सिंह की हत्या के साथ इस बात पर पूरी तरह मुहर लग जाती है कि जिसने भी उसके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, उसकी आवाज दबाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
अजीत की हत्या के बाद उठने लगे कई सवाल
आजमगढ़। पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के चश्मदीद गवाह अजीत सिंह की लखनऊ में बदमाशों द्वारा ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर हत्या कर देने के बाद इस हत्याकाण्ड में अब कई सवाल उठने शुरू हो गये हैं। यह पहला मामला नहीं है कि जनपद में गवाहों की हत्या नहीं हुई है फिर भी इतने हाई प्रोफाइल हत्या काण्ड जिसमें सीबीआई द्वारा जांच भी की गयी हो, ऐसे मामले के गवाह को आखिर सुरक्षा क्यों नहीं दी गयी। जबकि अजीत द्वारा 2019 में शहर कोतवाली में उसकी हत्या के बाद जिन लोगों का नाम उठ रहा है उनके विरूद्ध धमकी देने का मामला दर्ज करा दिया गया था। वहीं अजीत की हत्या में कुंटू का नाम जोड़ कर देखा जा रहा है तो दूसरी तरफ एक ऐसा सवाल जो सभी के जेहन में घूम रहा है कि अजीत को जहां दो दर्जन से ज्यादा गोलियां लगती है तो वहीं उसके साथी मोहर को एक गोली वह भी पैर में। समाज में उठ रही बातों की यदि बात करें तो कुछ लोग इस पर भी उंगली उठाने लगे हैं।
अजीत की हत्या में शामिल बाइक निकली आजमगढ़ की
आजमगढ़। लखनऊ के कठौता चैराहे पर अजीत सिंह की हत्या को अंजाम देने के बाद जिस ग्लैमर बाइक से हत्यारे फरार हुए वह बाइक आजमगढ़ की निकली। लखनऊ के कामता चैराहे पर खून से सनी दो बाइकों को पुलिस ने लावारिश हालत में बरामद किया। दोनों पर फर्जी नम्बर प्लेट लगे थे जिसमें एक लखनऊ की तो दूसरी चेचिस और इंजन नम्बर के आधार पर आजमगढ़ जनपद के जहानागंज थानान्तर्गत मोलनापुर गांव की निकली। देर रात आजमगढ़ और मऊ की पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए उक्त बाइक स्वामी को हिरासत में ले लिया। जांच पड़ताल में पता चला कि दो माह पूर्व छठ पूजा के अवसर पर चिरैयाकोट कस्बे से चोरी की गयी थी। सूत्रों के हवाले से आयी खबरों की यदि बात करें तो दोनों जनपद की पुलिस उक्त वाहन स्वामी से पूछताछ कर रही है।
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अजीत सिंह हत्या काण्ड की पुलिस कर रही मानीटरिंग: एसपी
आजमगढ़। लखनऊ में हुई अजीत सिंह की हत्या में कुंटू सिंह एण्ड कंपनी का नाम आने के बाद कुंटू सिंह सहित उनके सभी सहयोगियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए मानीटरिंग की जा रही है। चूंकि हत्या लखनऊ में हुई है इसलिए वहां के पुलिस कमिश्नर से लगातार सम्पर्क बना हुआ है। अभी कल कुंटू के मकान की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गयी जो नक्शे के विपरीत बना था। पुलिस की दो टीमें बनायी गयी हैं। आजमगढ़ पुलिस अपने स्तर से कार्रवाई कर रही है। जेल प्रशासन पर उठे सवाल पर उन्होंने कहा कि जो भी लिखित रूप से शिकायतें आयेंगी, उस पर अलग से कार्रवाई की जायेगी। जेल में लगातार चेकिंग होती है। मामला लखनऊ का है, उसमें कुछ कहना ठीक नहीं होगा। लेकिन लगातार आजमगढ़ पुलिस कार्रवाई कर रही है। आगे और भी कार्रवाई की जायेगी।