भारत की गौरव और अस्मिता का प्रतीक होगा राममंदिर, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव ने मंदिर की भव्यता से कराया परिचय
-मंदिर निर्माण के लिए घर-घर चलेगा निधि समर्पण अभियान
-मकर संक्रान्ति से शुरू होकर माघ पूर्णिता तक घर-घर जायेंगे विहिप के कार्यकर्ता
मनोज कुमार गुप्ता
वाराणसी। अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर ना सिर्फ भारत के गौरव बल्कि देश की अस्मिता का प्रतीक होगा। जो चिरकाल तक भारत के वैभव गाथा का गुणगान करेगा। इसके मजबूत निर्माण के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के इंजीनियर जुटे हुए हैं। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने इग्लिसिया लाइन स्थित कार्यालय में गुरूवार को यह जानकारी प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों को दी।
उन्होंने बताया कि संभवतः मकर संक्रान्ति तक इस रोडमैप तैयार हो जायेगा, जिसके बाद भव्य राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण की संकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से पूरे भारत में निधि समर्पण अभियान चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता घर-घर जाकर राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों की श्रद्धा से समर्पित राशि ली जायेगी।
बताया कि 14 जनवरी मकर संक्रान्ति से शुरू यह अभियान 27 फरवरी माघ पूर्णिमा तक चलेगा। जिसमें लाखों कार्यकर्ता शामिल होंगे। कार्यकर्ता 4 लाख गांव, 4 हजार वार्ड सहित 11 करोड़ परिवारों से सम्पर्क स्थापित करेंगे और उनके राम मंदिर के लिए समर्पण राशि लेंगे। पारदर्शिता के लिए हर जिले में एक अखिल भारतीय स्तरीय कार्यकर्ता नियुक्त किया गया है। जो धनराशि एकत्र होने के बाद संबंधित गांव या वार्ड के पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आॅफ बड़ौदा या स्टेट बैंक की निकटतम शाखा में जमा कर देंगे।
2023 राममंदिर का संतोषजनक निर्माण
बताया कि गर्भगृह के नीचे 70 मीटर तक भूरभूरी बालू भरा हुआ है। जिससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन काल में कभी यहां पर सरयू की धारा बहती रही होगी। मंदिर का प्रारूप अब पहले से बड़ा हो गया है। जो 360 मीटर लंबा, 339 मीटर चैड़ा और जमीन पर 161 फीट की ऊंचाई पर होगा। जिसपर जाने के लिए भक्तों को कम से कम 32 सीढ़ियां चढ़कर जानी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर तक वृद्धजनों व दिव्यांगों के पहुंचने के लिए भी विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। बताया कि अगर जनवरी में काम शुरू हो जाता है तो उम्मीद है कि दिसंबर 2023 तक संतोषजनक निर्माण हो जायेगा। मंदिर निर्माण में 4 लाख घनफुट पत्थर का इस्तेमाल किया जायेगा।