बनारस की पुलिस ही ‘भूमाफिया’, पंचायत भवन परिसर में सीओ का दफ्तर, सचिव-प्रधान के लिए है सिर्फ एक कक्ष

योगी सरकार की ग्राम सचिवालय स्कीम बड़ागांव ग्रामसभा में नहीं हो पा रही फलीभूत

- एंटी भूमाफिया के तहत कई बार हो चुकी शिकायत, मंडलायुक्त भी लगा चुके हैं फटकार

- जिला पंचायती राज विभाग ने अतिक्रमणकारी व दो कक्ष पर कब्जा होने की दी है रिपोर्ट

- जनपद में अवैध कब्जे वाली सरकारी संपत्तियों को मुक्त कराने का दावा यहां हो रहा फेल

- ग्राम प्रधान अपने घर या प्राथमिक विद्यालय में पंचायत की बैठकें करने को हो रहे बाध्य

- यहां की सरकारी दीवार पर धड़ल्ले से चस्पा व पेंट हो रहे हैं प्राइवेट कंपनियों के विज्ञापन

- जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर यहां पुलिस ही पड़ रही भारी



सुरोजीत चैटर्जी/अरविंद कुमार मिश्र

बाबतपुर। योगी सरकार ने ग्रामीणों को तहसीलों और शहर में स्थित दफ्तरों के चक्कर से राहत देने के उद्देश्य से पंचायत भवनों को ग्राम सचिवालय के रूप में संचालित करने का आदेश दे चुकी है। इसके लिए जनपद के विभिन्न विकास खंडों में कवायद भी चल रही है। लेकिन जिले में एक ऐसा पंचायत भवन भी है, जिसके परिसर में डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पुलिस ने कब्जा जमा रखा है। इस प्रकरण में वहां की पुलिस के खिलाफ एंटी भूमाफिया के तहत कई बार अधिकारियों ने शिकायत तक दर्ज करायी। कमिश्नर खुद मामले को संज्ञान में लेते हुए भरी बैठकों में पुलिस के अफसरों की क्लास लगा चुके लेकिन जिला प्रशासन इस पंचायत भवन से पुलिस को बाहर का रास्ता दिखाने पर अबतक नाकाम साबित हुई है।

जी हां, एंटी भूमाफिया के तहत होने वाली कार्रवाईयों में जहां जिला प्रशासन के साथ पुलिस सहयोग करती है वहीं, बड़ागांव पंचायत भवन में पुलिस के इस कब्जे को लेकर स्वयं पुलिस ही भूमाफिया की भूमिका में है। जिले में अन्य तमाम अवैध कब्जों को लेकर गरजने-बरसने और सख्त कदम उठाने का दावा करने वाले वाराणसी के ऊपर से लेकर नीचे तक कोई भी अधिकारी बड़ागांव पंचायत भवन से पुलिस को हटाने के लिए कड़क तेवर और दमखम दिखाने के असफल रहा है।



इस पंचायत भवन में सर्किल के पुलिस उपाधीक्षक (क्षेत्राधिकारी) बड़ागांव का दफ्तर चलता है। ग्राम प्रधान व सचिव के लिए सिर्फ एक कमरा उपलब्ध है। पुलिसिया हनक ऐसी की यहां के ग्राम प्रधान पंचायतों की बैठकें अपने घर या प्राथमिक विद्यालय में करने के लिए बाध्य हैं। जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली प्रदेश सरकार पर इस पंचायत भवन पर कब्जा जमाए बैठी पुलिस ही भारी पड़ रही है। कई पंचवर्षीय योजनाएं बीत गईं लेकिन इस पंचायत भवन को पुलिस से खाली नहीं कराया जा सका। जबकि विकास खंड मुख्यालय भी इसी ग्रामसभा में है। ब्लॉक मुख्यालय के अफसरों की छोड़िए, जनपद मुख्यालय में बैठे तमाम अधिकारी इस मामले में लगातार आंख मूंदने की भूमिका में ही चल रहे हैं।

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र के नवनिर्मित और निर्माणाधीन पंचायत भवनों को लोकार्पण-शिलान्यास किया है। जिले के प्रशासनिक अफसर बड़ागांव पंचायत भवन पर पुलिसिया कब्जे का प्रकरण गोल कर गये। जबकि पीएम का उद्देश्य है कि प्रत्येक ग्राम सभा में पंचायत भवन स्थापित हों और गांव स्तर पर संबधित कार्य वहां सुचारु रूप से किये जाएं।

खास यह भी कि सरकारी संपत्तियों से जुड़े दीवारों पर प्राइवेट विज्ञापन लिखने या चस्पा करने पर रोक है। उसके बावजूद इस पंचायत भवन की बाहरी दीवारों पर कंपनियों के प्रचार-प्रसार संबंधी विज्ञापन धड़ल्ले से पेंट किये जाते हैं। परिसर में चल रहे क्षेत्राधिकारी बड़ागांव का कार्यालय सभी की नजर में है लेकिन जब जनपद और कमिश्नरी ने आला अधिकारी ही अनदेखी किये बैठे हों तो इलाकाई स्तर पर कौन आपत्ति करे।



...तो घर में चलेगा ग्राम सचिवालय

- बड़ागांव की ग्राम प्रधान संध्या देवी से पूछे जाने पर उनके प्रतिनिध के रूप में पति शिवराज यादव ने बताया कि इस पंचायत भवन में लगभग 15 साल से भी अधिक समय से सीओ बड़ागांव का दफ्तर चल रहा है। फलस्वरूप बाध्य होकर ग्रामसभा की बैठकें प्राथमिक विद्यालय या अपने घर पर ही करना पड़ता है। इस कारण कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अब तो शासन ने पंचायत भवनों को अनिवार्य रूप से ग्राम सचिवालय के तौर पर संचालित करने का आदेश दे दिया है। यदि यह पंचायत भवन पुलिस ने खाली नहीं किया तो प्राइमरी स्कूल या अपने घर से ही ग्राम सचिवालय संचालित करना पड़ेगा।



भूमि का भेजा है प्रस्ताव: सीओ नितेश

- क्षेत्राधिकारी बड़ागांव नितेश प्रताप सिंह कहते हैं कि सीओ आॅफिस स्थापित करने के लिए आवश्यक जमीन के बारे में पुलिस विभाग को प्रस्ताव भेज दिया गया है। भूमि निर्धारित होने के बाद यह कार्यालय पंचायत भवन से अलग कर लिया जाएगा।



एंटी भूमाफिया में डीपीआरओ ने कई बार की शिकायत

जनपद में विभिन्न सरकारी भवनों व जमीनों समेत सरकारी संपत्तियों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने और उनसे जुड़े भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई का दावा करने वाला प्रशासन एंटी भूमाफिया के अंतर्गत बड़ागांव पंचायत भवन का मामला कई बार रिमाइंडर के तौर पर देने के बावजूद चुप्पी साधे हुए है। राजस्व विभाग का हाल इसी से समझिए कि बीते डेढ़ दशक में बड़ागांव सीओ कार्यालय के लिए न तो जमीन ढूंढ़ी जा सकी और न ही प्रस्ताव पर उसका दफ्तर स्थापित हो सका। एडीओ पंचायत महेंद्र सिंह ने बड़ागांव पंचायत भवन के बारे में एक सत्यापन रिपोर्ट में लिखा है कि इस परिसर में एक अतिक्रमणकर्ता है और उस अतिक्रमणकर्ता ने प्रांगण के दो कमरों पर अवैध कब्जा कर रखा है। दूसरी ओर, प्रकरण में जिला पंचायत राज अधिकारी ने एंटी भूमाफिया के तहत कई बार शिकायत दर्ज की है।

डीएम के संज्ञान में है: बीडीओ

- खंड विकास अधिकारी बड़ागांव दीपांकर आर्य ने बताया कि बड़ागांव पंचायत भवन में पुलिस द्वारा किये गये अवैध कब्जे के बारे में कई बार जिलाधिकारी को लिखित तौर पर सूचना दी जा चुकी है, लेकिन अबतक कोई पहल नहीं हुई। यह पंचायत भवन पुलिस खाली करे तो ग्राम सचिवालय संचालित कराना संभव होगा।




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