चंदौली के इस मुख्य आरक्षी को एसपी चंदौली व सीओ से जान का खतरा! डीजीपी को लिखा पत्र
जान से मरवाने व फर्जी मुकदमें में फंसाने का लगाया आरोप
जावेद अंसारी
चंदौली। सदर कोतवाली में तैनात मुख्य आरक्षी द्वारा पुलिस महानिदेशक को लिखे खत से जनपद पुलिस की साख पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। मुख्य आरक्षी अनिल सिंह ने डीपीजी को लिखे पत्र में न केवल जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई, बल्कि जिले में तैनात एसपी हेमंत कुटियाल, सीओ सदर कुंवर प्रभात सिंह व मुगलसराय के कोतवाल रहे इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा से खुद को खतरा बताया।
खत में यह भी आरोप है कि मुगलसराय कोतवाली की अवैधी वसूली की लिस्ट सीयूजी नंबर पर वाट्सअप्प करने के बाद भी एसपी ने कोई एक्शन नहीं लिया। बिजलेंस जांच में जब एसपी फंसने लगे तो उन्होंने खिन्न होकर मुझे बर्खास्त करने की योजना बना डाली।
विदित हो कि सूबे में जनपद पुलिस मुगलसराय कोतवाली के अवैध वसूली लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सुर्खियों में आयी। इसके साथ ही वहां के इंचार्ज रहे इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा के भी कई सवाल उठे। मामला गंभीर होता देख एसपी हेमंत कुटियाल ने उनसे मुगलसराय की कमान छिनकर लाइन हाजिर कर दिया। उक्त मामले विजलेंस जांच में अवैध वसूली के आरोप की पुष्टि हो गयी।
अब मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ ही रहा था कि इसी बीच मुख्य आरक्षी अनिल कुमार द्वारा डीजीपी को लिखा खत सोशल मीडिया पर तैरने लगा। जिसमें एसपी हेमंत कुटियाल समेत सीओ सदर व इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा से खुद की जान को खतरा बताया और जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई। पत्र में अनिल ने अंदेशा जाहिर किया कि एसपी चंदौली और सीओ सदर के साथ-साथ इंस्पेक्टर शिवानन्द मिश्रा द्वारा मुझे जान से मरवाने के साथ ही झूठे मुकदमें में फंसाने की साजिश की जा सकती है।
यहां तक लिखा कि वह वाराणसी से आता-जाता है ऐसे में मेरा एक्सीडेंट भी करवा जा सकता है। अनिल ने पत्र की प्रतियां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य मानवाधिकार आयोग व एडीजी वाराणसी को भी भेजा है। हालांकि डीजीपी को लिखे उक्त पत्र के सत्यता की पुष्टि नहीं की जा सकती, क्योंकि उस पर संबंधित मुख्य आरक्षी के हस्ताक्षर नहीं है।
...क्या कहते हैं पुलिस अधीक्षक
चंदौली। पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल ने कहा कि मुख्य आरक्षी अनिल कुमार सिंह लापरवाही के कारण पूर्व में निलंबित हो चुका है। वर्तमान में उक्त मुख्य आरक्षी पर कई गंभीर आरोप है जिसके आधार पर उसे निलंबित करने की प्रक्रिया चल रही है। विभागीय कार्यवाही से बचने के लिए सुनियोजित तरीके से आधारहीन आरोप लगा रहा है।