बनारस के प्रकांड ज्योतिषाचार्य से जानिए दिवाली का महत्व और शुभ मुहूर्त



आचार्य विशाल पोरवाल

हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहार दिवाली पांच दिनों तक चलती है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी और श्रीगणेश की पूजा का विधान है। अबकी दिवाली 14 नबंवर 2020 (शनिवार को मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। सुख-समृद्धि की कामना के लिए दिवाली से बढ़कर कोई पर्व नहीं।


पांच दिवसीय दिवाली पर्व

-12 नवंबर 2020 (गुरुवारः गोवत्स द्वादशी। ,

-13 नवंबर 2020 (शुक्रवारः को धनतेरस एवं धन्वंतरि त्रयोदशी, यम दीपदान, काली चौदस और हनुमान पूजा।

-14 नवंबर 2020 (शनिवारः नरक चतुर्दशी, दिवाली, महालक्ष्मी पूजन।

-15 नवंबर 2020 (रविवारः गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा।

-16 नवंबर 2020 (सोमवारः को प्रतिपदा, यम द्वितिया, भैया दूज, भाईदूज।

शुभ तिथि और पूजन मुहूर्त

दिवाली की तिथि- 14 नबंवर 2020

अमावस्या तिथि- 14 नबंवर 2020 दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से।

अमावस्या तिथि समाप्त- अगले दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक (15 नबंवर 2020)

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक (14 नबंवर 2020)

प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक।

वृषभ काल मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट तक।
आचार्य विशाल पोरवाल



ध्यान रखने वाली बातें

-लक्ष्मी पूजन की सामग्री में गन्ना कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।

-मां लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय हैं। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। इनका भोग जरूर लगाएं।

सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का इस्तेमाल महालक्ष्मी पूजन में जरूर करें।

-अनाज में चावल, मिठाई में घर में शुद्ध घी से बनी केसर की मिठाई या हलवा नैवेद्य में जरूर रखें।

-व्यावसायिक प्रतिष्ठान, गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें।

-लक्ष्मी पूजन रात के 12 बजे करने का विशेष महत्व होता है।

-धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना है तो दीयों के प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल के तेल का इस्तेमाल करें।

-रात को 12 बजे दीपावली पूजन के बाद चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल तथा छाज (सूप) पर तिलक करें।

-दीपकों का काजल स्त्री और पुरुष अपनी आंखों पर जरूर लगाएं।

यह भी जानें

प्रदोष का व्रत एवं गोदास द्वादशी 12 नवंबर गुरुवार को मनायी जाएगी। इस दिन दूध से बनी वस्तुओं का सेवन कतई नहीं करना चाहिए। इसी दिन धनतेरस पर्व भी मनाया जाएगा। यह लक्ष्मी का अवतरण दिवस भी है। 13 नवंबर को हनुमान जयंती और नरक चतुर्दशी भी मनाई जाएगी। दिवाली अगले दिन मनाई जाएगी। 16 नवंबर को चित्रगुप्त व कलम-दवात की पूजा के अलावा भाई दूज भी मनाया जाएगा।

बनारस में नाग-नथैया की पूजा 18 नवंबर को होगी। 20 नवंबर से विवि-विधान के साथ छठ पूजा शुरू होगी। गोपाष्टमी 22 नवंबर रविवार को मनाई जाएगी। इसके अलगे दिन 23 नवंबर को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। अयोध्या में अंतंर्ग्रही पंचकोसी परिक्रमा 25 नवंबर को होगी। वैष्णवजन 26 नवंबर को एकादशी का मान रखेंगे। वैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर को होगी। पूर्णिमा के दिन 29 नवंबर को काशी विश्वनाथ के प्रतिष्ठा का उत्सव भी है। 

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