सीएम योगी शुक्रवार आएंगे काशी, सारनाथ में देखेंगे लाइट एंड साउंड शो, पीएम के आगमन को लेकर करेंगे तैयारियों की समीक्षा
- मुख्यमंत्री एकदिनी दौरे पर अपराह्न आकर पीएम के कार्यक्रमों की तैयारियों का लेंगे जायजा
- आयोजन स्थलों का करेंगे दौरा, चेतसिंह घाट पर प्रस्तावित लेजर शो की भी लेंगे जानकारी
- गंगापार रेती पर आज शाम पांच सेक्टर क्षेत्र में एक-एक हजार दीपक जलाकर होगा रिहर्सल
- राजघाट से अस्सी के आगे तक घाटों के उस पार रेती पर मार्किंग को लगा 400 किलो चूना
सुरोजीत चैटर्जी
वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एकदिनी दौरे पर शुक्रवार को आएंगे। वह पीएम नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित कार्यक्रम को देखते हुए चल रही तैयारियों का जायजा लेंगे। उम्मीद जतायी जा रही है कि वह शाम को गंगापार रेती पर दीप प्रज्वलन का पूर्वाभ्यास भी देखेंगे। उसके बाद आला अफसरों संग समीक्षा बैठक करने के बाद लखनऊ रवाना हो जाएंगे।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सीएम अपराह्न गोरखपुर से मिर्जामुराद क्षेत्र के खजुरी में निर्मित अस्थायी हेलीपैड पर उतरेंगे। उसके बाद मोदी के हाथों लोकार्पित होने वाले चैड़ीकरण किये गये हंडिया-राजातालाब मार्ग की जानकारी लेंगे। उसके बाद राजघाट पहुंचेंगे। यहां पर देवदीपावली के दिन होने वाले कार्यक्रम की जानकारी लेंगे। उसके बाद ललिताघाट होकर निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निरीक्षण करेंगे।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री सायंकाल चेतसिंह घाट की दीवारों पर प्रस्तावित लेजर शो की तैयारियां देखेंगे। उसके बाद सर्किट हाउस में पीएम के कार्यक्रमों की तैयारियों के बारे में समीक्षा बैठक कर सारनाथ में लाइट एंड साउंड शो प्रोग्राम देखकर लखनऊ रवाना हो जाएंगे। दूसरी ओर, चर्चा है कि शुक्रवार की शाम गंगापार रेती पर राजघाट पुल से लेकर करीब डेढ़ किमी दूरी तक यानी सेक्टर-1 से लेकर सेक्टर-5 तक परीक्षण के तौर पर एक-एक हजार की संख्या में पूर्वाभ्यास के रूप में दीपक जलाए जाएंगे।
संभावना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस रिहर्सल को देखेंगे। उनके आगमन को देखते हुए गंगापार रेती पर लगाए गये अधिकारियों को मौके पर चल रही तैयारियां हर हाल में शुक्रवार को पूर्वाह्न दस बजे तक कर लेने के निर्देश दिये गये हैं। इधर, गुरुवार सायंकाल तक गंगापार रेती पर चूने से मार्किंग का कार्य अंतिम चरण में था। चर्चा के मुताबिक राजघाट से अस्सी घाट के आगे तक 20 सेक्टर में बांटे गये गंगापार रेती इलाके में इस प्रकार की मार्किंग के लिए लगभग 400 किलो चूने का प्रयोग किया जा रहा है।