जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की नागरिकता खत्म करने की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने लगाया 25 हजार जुर्माना
जनसंदेश न्यूज़
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की नागरिकता समाप्त करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने याची पर फिजूल की याचिका दाखिल कर अदालत का समय बर्बाद करने पर 25 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है। हर्जाने की रकम एक माह के भीतर महानिबंधक के समक्ष जमा कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने वाराणसी के नागेश्वर मिश्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में कहा गया कि जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारे लगाए थे। जिस पर उनके खिलाफ देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा दर्ज है। दिल्ली में इस मुकदमे का ट्रायल चल रहा है। कन्हैया कुमार और उसके साथी उन आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं जो भारत की एकता और अखंडता पर प्रहार कर रहे हैं और उसे नष्ट करने का कुचक्र करते हैं। इसके बावजूद भारत सरकार कन्हैया की नागरिता समाप्त नहीं कर रही है। याचिका में कन्हैया कुमार की भारत की नागरिकता समाप्त करने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 5(सी) और भारतीय नागरिकता कानून 1955 की धारा 10 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिता से सिर्फ तभी वंचित किया जा सकता है जब उसे नागरिकता नेच्युरलाइजेशन (विदेशी व्यक्ति को भारत का नागरिक बनाने की प्रक्रिया) या संविधान में प्रदत्त प्रक्रिया द्वारा दी गई हो। कन्हैया भारत में ही पैदा हुआ है। वह जन्मजात भारत का नागरिक है। इसलिए सिर्फ मुकदमे का ट्रायल चलने के आधार पर उनकी नागरिकता समाप्त नहीं की जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि याची ने बिना कानूनी प्रावधानों का अध्ययन किए सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका दाखिल की है। ऐसे समय में जब कोरोना के कारण अदालतें सीमित तरीके से काम कर रही हैं और मुकदमों का बोझ बहुत है। इस प्रकार फिजूल की याचिका दाखिल करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग और अदालत के कीमती समय की बर्बादी है। कोर्ट ने इसके लिए याची पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। यह रकम उसे एक माह के भीतर महानिबंधक के समक्ष बैंक ड्राफ्ट द्वारा जमा करनी है। रकम एडवोकेटस एसोसिएशन के खाते में महानिबंधक द्वारा भेजी जाएगी। हर्जाना जमा न करने पर कोर्ट ने कलेक्टर वाराणसी को इसे राजस्व की तरह याची से वसूल करने का निर्देश दिया है।