ऐसा झटका लगे जिया पर पुनर्जन्म होई जाए, मीलिए बनारस के पीपीई किट पान वाले से.....
-विशाल चौरसिया जो इस कोरोना कॉल में भी सुरक्षा के साथ खिला रहे पान
-मुंह में पान गया नहीं ललकार सुनने को मिल जायेगी, ऐसा शहर बनारस
रवि प्रकाश सिंह
वाराणसी। बनारसियों की बात में वजन तभी आता है जब उनके मुंह में पान हो। कहते है अगर यहां सुबह चाय मिले न मिले लेकिन पान जरूर जमना चाहिए। गुरु पूरे विश्व में एकलौता शहर बनारस है जहां मुंह भर पान घुलाकर साफ शब्दों में अपनी बात कहने कला केवल बनारसियों के पास है। मुंहभर पान और लंबी बात कहीं भी हो और दस से पंद्रह लोगों का जुटान हो तो समझ लो अगला बनारसी है। पान पर कोई छेड़ दिया तो बनारसी हल्दीघाटी पर उतर आते है। मजे की बात पान तबतक मुंह में घूला रहेगा जबतक कि सामने वाले की बात में दम न हो। यानी पान से भी जरूरी बात होगी तभी थूका जायेगा नहीं तो सामने वाले को जवाब हूं, हां, खिक खिक में बनारसी देते हैं।
याद होगा प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान के दौरान एक बार खुद इशारों में कहा था मुझे पता है बनारस के लोगों के लिए ये मुश्किल है लेकिन फिर भी अच्छा होगा कि पान सार्वजनिक जगहों पर न थूका जाए। कोरानो काल में प्रतिबंध के बावजूद मजाल है कि किसी बनारसी का पान बंद हुआ हो। नहीं चोरी से ही सही लेकिन पान जरूर जमता था। लाठी डंडा खाने के बाद भी अगर इसका रस मुंह में गया तो सारे गम बेदम हो जाते हैं।
तभी तो इस पान का महिमा मंडन करने में खुद सदी के महानायक भी पीछे नहीं हटे। एक बनारसी पान ने उन्हें फर्श से अर्श तक पहुंचाने में उतना ही काम किया जितना एक सरकार को गिराने और बनाने में विपक्षी करते हैं। डॉन फिल्म तो याद ही होगा। जिसमें अमिताभ बच्चन खाइये के पान बनारस वाला ये गाना आज भी उसी दमखम के साथ महफिलों की शान बनता है।
लेकिन कोरोना काल में जब इस पान पर आफत आयी तो इस विशाल चौरसिया इसका काट निकाला। इन दिनों वह ग्राहकों को पीपीई किट पहनकर कोराना से बचाव करता हुए मुंह का रंग लाल करा रहे हैं। हाल ही में जमेशदपुर रांची समेत कई रेडियो स्टेशन पर इस बनारसी पान विक्रेता को सुना गया। जमशेदपुर के स्टार रेड एफएम के रेडियो जॉकी अभय ने अपने शो में इन्हें रातोरात झारखंड में स्टार बना दिया। भारत के तमाम प्रिंट मीडिया से लगायत इलेक्ट्रानिक मीडिया ने इस बनारसी और बनारसपन को अपने पत्र और कैमरे में जगह दी।
लंका रविदं्रपुरी मार्ग पर पान बेचने वाले विशाल चौरसिया का कहना है कि कोरोना का कहर अब पहले से ज्यादा हो गया है। हमारे घर में बच्चे हैं। मेरी आमदनी भी कम है। ऐसे में सुरक्षा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसलिए मैं पीपीई किट पहनकर ही दुकानदारी करता हूं। इसमें गर्मी लगती है परेशानी होती है पर कोरोना से बचाव से बढ़कर कुछ भी नहीं है। विशाल ने बताया, मैं पीपीई किट पहनकर ही दुकान खोलता हूं। सुबह दुकान में आते ही पूरी दुकान को सैनिटाइज करता हूं। जैसे ही कोई ग्राहक आता है, उसपर भी सैनिटाजर का छिड़काव करता हूं, इसके बाद उसका पान लगाता हूं।