पूर्वांचल-डिस्कॉम के निजीकरण का होगा पूरजोर विरोध, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी



जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की सोमवार को हुई आपात बैठक में वक्ताओं ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. (पूर्वांचल-डिस्कॉम) के निजीकरण करने की प्रदेश सरकार की मंशा पर गहरी नाराजगी जतायी। कहा कि यदि ऐसा हुआ तो इसका पूरजोर विरोध किया जाएगा। पूर्वांचल-डिस्कॉम से जुड़ा एक-एक कर्मचारी अंतिम सांस तक निजीकरण का विरोध करते हुए प्रदेश सरकार के मंसूबे को नाकाम करेगा।
वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में भारत समेत समूचा विश्व कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के कारण घोर संकट से गुजर रहा है। एक तरफ जहां इस संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग आदि तत्पर है। वहीं ऊर्जा क्षेत्र के बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं का योगदान भी अतिमहत्वपूर्ण है। सभी बिजली कर्मचारी  और अभियंता इस कोरोना के संकटकाल में भी पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ सरकार की मंशा के अनुरूप निर्बाध विद्युत आपूर्ति कर रहे हैं। इसके बाद भी कर्मचारियों और अभियंताओं को प्रोत्साहित करने के बजाय निजीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके कारण कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। बैठक के पश्चात पूर्वांचल-डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक को इस बाबत पत्रक भी सौंपा गया। चेतावनी दी कि यदि ऐसा करने का प्रयास भी किया गया तो संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा। बैठक में आरबी यादव, एके श्रीवास्तव, चन्द्रशेखर चौरसिया, सुनील कुमार यादव, नीरज बिन्द, राजेन्द्र सिंह, जीउत लाल, मदन लाल श्रीवास्तव, रमन श्रीवास्तव, राजेश कुमार, कृष्णा लाल, जगदीश पटेल, संजय भारती, राजेश कुमार यादव, ओपी भारद्वाज, संतोष कुमार वर्मा, कृष्ण मोहन, संतोष कुमार भारतीया, हेमन्त श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।


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