मंडी परिसर से बाहर अनाज की खरीद-फरोख्त टैक्स-फ्री, केंद्र सरकार ने मंडी शुल्क किया समाप्त
अब नही लगेगा किसानों के उत्पाद पर मंडी शुल्क
बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों या संस्थाओं को बाजार में उतरने की मिलेगी खुली छूट
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। केंद्र सरकार ने नए बिल के माध्यम से किसानों के उत्पाद पर लगने वाला मंडी शुल्क को समाप्त कर दिया है। अब मंडी परिसर के बाहर अनाज ही नहीं तमाम कृषि उत्पादों की खरीद-फरोख्त टैक्स फ्री होगी। इससे किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए खुला बाजार मिलेगा और उनकी उपज का वाजिब दाम भी। इससे किसानों में ही नहीं कारोबारियों में भी हर्ष व्याप्त है।
किसानों के उत्पाद पर लगने वाला मंडी शुल्क समाप्त होने से प्रदेश सरकार की कृषि उत्पादन मंडी परिषदों का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। वहीं इस बिल से किसानों के कृषि उत्पाद खरीदने के लिए बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों या संस्थाओं को बाजार में उतरने की खुली छूट मिल जाएगी, जो इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म तैयार करेंगी और किसानों से सीधे सम्पर्क स्थापित करके कृषि उत्पाद खरीद सकेंगी। इस नयी व्यवस्था से मंडी आढ़तियों/व्यापारियों में खलबली मची है, क्योंकि मंडी परिसर में कृषि उत्पादों की खरीद-फरोख्त पर 2.5 प्रतिशत टैक्स लगेगा। इससे किसान और ग्रामीण व्यापारी मंडी से विमुख हो सकते हैैं। इसके चलते व्यापारियों के साथ ही मंडी परिषद के अधिकारियों को भी आवक कम होने का डर सताने लगा है।
मंडी सूत्रों की मानें तो किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने की कवायद काफी समय से हो रही है, जिसके लिए प्रतिवर्ष क्रय नीति में व्यापक बदलाव भी हुए। इसके बावजूद सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं-धान बेचना छोटे और मध्यम किसानों के लिए दुरूह बना हुआ है। लिहाजा, केंद्र सरकार के इस नए अध्यादेश से बड़े पैमाने पर क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद बन गई है, क्योंकि पूरे देश में मंडी शुल्क को समाप्त कर दिया गया है। साथ ही इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग एण्ड ट्रांजेक्शन प्लेटफार्म के माध्यम से कृषि उत्पादों की खरीद-फरोख्त करने के निर्देश दिए हैैं। मंडी मामलों के जानकार बताते हैं कि नए अध्यादेश से बड़ी कारपोरेट कंपनियां भी सीधे किसानों से कृषि उत्पाद खरीद सकेंगी, क्योंकि अब मंडी परिषद का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा।
सूत्रों की मानें तो मंडी परिषद का दायरा सिमटकर परिसर तक रह जाएगा, जिससे बाहर वह मंडी शुल्क नहीं ले सकेंगे। इससे मंडी शुल्क से होने वाली आमदनी लगभग बंद हो जाएगी। वहीं सबसे ज्यादा झटका मंडी परिसर में कारोबार करने वाले आढ़ती/व्यापारियों को लगेगा, क्योंकि कॉरपोरेट कंपनियों के नेटवर्क के आगे उनकी दाल नहीं गलेगी। क्योंकि राज्य सरकार की ओर से मंडी परिषदों को नया दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है। राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद उत्तर प्रदेश के निदेशक जितेंद्र प्रताप सिंह ने समस्त मंडी परिषदों को नये दिशा-निर्देश का तत्काल प्रभाव से अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश जारी कर दिया है।
मंडी निदेशक ने व्यापारियों को भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई व्यापारी या किसान मंडी परिसर के बाहर खरीद-फरोख्त करता है तो उसे मंडी शुल्क नहंी देना होगा और न ही लाइसेंस लेना होगा। अलबत्ता मंडी परिसर में व्यापार करने वाले व्यापारी को मंडी शुल्क देना होगा और मंडी का लाइसेंस भी लेना होगा। पूर्वांचल फ्लोर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कपूर ने बताया कि मंडी के बाहर शुल्क समाप्त किए जाने से कोई भी बिना लाइसेंस के खरीद-फरोख्त कर सकेगा। इसका लाभ किसानों और कारोबारियों को मिलेगा, लेकिन मंडी के व्यापारियों के सामने तमाम मुश्किलें आ जाएंगी। मंडी परिसर में अब भी शुल्क समाप्त नहीं किया गया है।