मध्यकालीन साहित्य पर बहुआयामी शोध संभव-प्रो हरीश शर्मा
शोध की गहराई में उतकर कर तथ्यों को टटोले-प्रो. कुमुद शर्मा
पांच दिवसीय बेविनार का हुआ समापन
जनसंदेश न्यूज़
ईटानगर। राजीव गांधी विश्वरविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा मध्यकालीन हिन्दी साहित्य में शोध की संभावनाएं विषयक पांच दिवसीय वेबिनार का शुक्रवार को समापन हुआ। समापन सत्र में विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये।
आखिरी सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. हरीश कुमार शर्मा, प्रोफेसर हिंदी विभाग एवं पूर्व भाषा संकायाध्ययक्ष, राजीव गांधी विश्वेविद्यालय ने कहा कि मध्यकालीन साहित्य पर बहुआयामी शोध संभव है। जैसे कि प्रबंधात्मगकता की दृष्टि से रामचरित मानस और पद्मावत का तुलनात्माक अध्ययन भी किया जा सकता है। कबीर, तुलसी काव्य भक्ति के स्व्रूप का भी तुलनात्मवक अध्य्यन हो सकता है। मध्यभकालीन प्रेम के स्वरूप पर एक नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है। श्रृगांर काव्या के स्वरूप लोक में स्त्री की बिंब, लोक संदर्भाे पर भी शोध की संभावनाएं दिखती हैं।
वहीं प्रो. कुमुद शर्मा, निदेशक, हिन्दी व माध्य्म कार्यान्वायन निदेशालय, दिल्ली विश्व विद्यालय ने पं. विद्यानिवास मिश्र जी की पीड़ा के वर्णन के साथ मध्यकालीन साहित्य के महत्व को रेखांकित किया। प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि शोध में गहराई तक उतरकर तथ्यों को टटोलना चाहिए। महज नौकरी या डिग्री के लिए शोध नहीं करना चाहिए। बल्कि मध्यकालीन साहित्य के मूल्यों को लेकर शोध किया जाना चाहिए।
समापन सत्र में स्वागत भाषण हिंदी विभागाध्य डॉ. श्याकम शंकर सिंह ने देते हुए सभी अतिथियों के प्रति स्वागत एवं आभार व्यक्त किया। समापन सत्र के अध्यक्ष विश्व विद्यालय के सम-कुलपति प्रो. अमिताव मित्रा ने इस पांच दिवसीय शिक्षण विकास कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और हिंदी विभाग को बधाई भी दी।
वहीं उमेश कुमार थपलियाल, कमांडेंट, 12 एन.डी.आर.एफ. ने विश्विविद्यालय के रैंकिग में पिछले दो वर्षों के दरमियान ही 150वीं रैंक से 74वें रैंक पर पहुँचने पर विश्व.विद्यालय के कुलपति को बधाई दी। विश्वथ्विद्यालय के कुलसचिव प्रो. तोमो रिबा ने इस शिक्षण विकास कार्यक्रम में सम्मिलित सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और हिंदी विभाग के प्रति सदिच्छा व्यक्त की और इस कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि प्रो. कुमुद शर्मा, दिल्ली विश्वयविद्यालय ने इस तरह के कार्यक्रम को बहुत ही उपयोगी बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम देश के अन्य हिंदी विभागों में आयोजित होने चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक प्रो. ओकेन लेगो, भाषा संकायाध्य्क्ष ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए देश भर से सम्मासनित विषय-विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त किया। वहीं कार्यक्रम के लिए कुलपति डा. साकेत कुशवाहा का भी ह्दय से आभार व्यक्त किया। इस दौरान हिंदी विभाग के सह-संयोजक डॉ. जोराम यालाम नाबाम और डॉ. सत्य प्रकाश पाल, डॉ. जमुना बीनी तादर, डॉ. विश्वयजीत कुमार मिश्र, डॉ. राजीव रंजन प्रसाद तथा शोधार्थियों में विजय कुमार, प्रियंका सिंह, अनुराधा के साथ अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रचंड नारायण पिराजी तथा डॉ. चंदन कुमार पांडा की भी उपस्थिति रही।