लॉकडाउन में श्रमिकों की मौत से आहत ग्राम्या संस्था ने किया मौन सत्याग्रह, मजदूर हितों को लेकर सरकार के समक्ष रखी मांग
लॉकडाउन में मजदूरों व बच्चों की असामयिक मौत पीड़ादायक-बिंदु सिंह
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों की लगातार हो रही मौतें और मजदूरों के ऊपर टूटे दुखों के पहाड़ से आहत ग्राम्या संस्थान ने रोजी-रोटी अभियान के तहत सोमवार को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया। इस दौरान संस्था की निदेशक बिंदु सिंह, नीतू सिंह, सुरेन्द्र सिंह सहित अन्य लोगों ने घरों से ही हाथों में पोस्टर लिये लॉकडाउन में जान गंवाये मजदूरों के शोक में मौन सत्याग्रह किया। इस दौरान संस्था ने मजदूर हितों को लेकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए विभिन्न मांगे भी रखी।
इस मौके पर बिंदु सिंह ने कहा कि आज कोरोना वायरस ने हमारे जीवन को बदल दिया है। आज से 4 माह पूर्व ये किसी ने नही सोचा था कि कोरोना वायरस पूरे देश का परिदृश्य ही बदल कर रख देगा। पूरा देश 100 सालों के सबसे कठिन दौर में गुजर रहा है।
कहा कि इस महामारी ने समाज के अलग-अलग समूहों को अलग तरह से प्रभावित किया है, लेकिन सबसे ज्यादा आघात हमारे देश के श्रमिकों के ऊपर आया है, गायब हो रहे रोजगार, भूख से पैदल सड़कों पर धकेले गए, घायल व तनाव भरे दिन और यह अनिश्चित माहौल इस दौर की हकीकत बना है। कहा कि लॉकडाउन के दौरान बेहद अव्यवस्था के चलते और सरकार की उपेक्षा के कारण प्रवासी मजदूरों व बच्चों की होने वाली मौतों की बहुत दुखद है, अभियान इसकी घोर निंदा करता हैं।
वहीं नीतू सिंह ने कहा कि कोविड-19 के चलते अचानक देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पूरे देश में अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। सरकार द्वारा कोई समुचित दिशा निर्देश न होने के कारण गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग, विकलांग व अन्य सभी अपने घरों तक पहुंचने के लिए बिना साधन के पैदल ही वापस घरों के लिए निकल पड़े। हालत यह हो गई कि रास्ते में उन्हें ना कोई सुविधा मिल रही और ना ही कोई मदद। ऊपर से उनके साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा वह अलग। मजदूर हमारे देश की वह श्रमशक्ति है, जिसने परोक्ष और अपरोक्ष रूप से देश के विकास में अपना योगदान दिया है। इसलिए इनका संरक्षण बहुत ही आवश्यक है।
संस्था द्वारा बताया गया कि एक सरकारी आंकड़े के अनुसार 30 लाख से ज्यादा मजदूर वापस उत्तर प्रदेश लौट रहे हैं। जिसमें सरकार द्वारा की गई अनदेखी के कारण 22 मई तक देश भर में 667 मौते हुई हैं, जिसमें सड़क दुर्घटना से 205, भूख से 114 मौतें हुई हैं। औरैया में सड़क दुर्घटना, मुज्ज़फ्फरनगर में पैदल चल रहे मजदूरों को बस ने कुचला जाना सहित ऐसी अनगिनत घटनायें देश भर में हुई। जिससे हम आहत है।
संस्था ने सरकार से मांग किया कि पलायन के लौट रहे मजदूरों में किसी को राशन की कामी न हो। सभी को 35 किलो राशन प्रति परिवार, कम से कम 2 किलो दाल, 2 लीटर खाद्य तेल व नमक, चीनी व खाद्य मसाला दिया जाये। राशन के लिए किसी विशेष कागज की आवश्यकता ना हो। सभी मजदूरों को 3 महीने नहीं, बल्कि एक साल तक फ्री राशन दिया जाये। रोजगार गारंटी के कानून के लिए पर्याप्त फंड हो, सभी ग्रामीण परिवारों को उनकी मांगों के अनुसार काम मिले साथ ही श्रमिक परिवारों को काम मिलना सुनिश्चित की जाये।