लगाएं औषधीय-सुगंधित पौधे, बढ़ाएं आमदनी, गंगाग्रामों के किसानों से प्रभागीय वनाधिकारी की अपील

निर्धारित प्रजाति के पौधे लगाने और उनकी देखभाल के लिए मिलेगा अनुदान


कृषि और एग्रीकल्चर लैंडस्केप स्कीम के अंतर्गत दी जा रही है ऐसी सुविधाएं


नमामि गंगे योजना में ऐसे पौधों की खेती के लिए शासन से मिल रही है सब्सिडी


गंगातट के दस किमी की परिधि में रहने वाले कृषक लें लाभ: महावीर कौजलगी

जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। पर्यावरण और जैवविधिता के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए आमलोगों को विभिन्न स्तर पर पौधरोपण के उद्देय से प्रोत्साहित किया जाता है। उसी क्रम में गंगातट के निकट स्थित गंगा ग्रामों में नमामि गंगे योजना के तहत औषधीय एवं सगंध पौधों का रोपण करने के लिए शासन ने अनुदान उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। कृषि एवं एग्रीकल्चर लैंडस्केप स्कीम में किसानों की जमीन पर चिह्नित पौधे लगाने पर यह सब्सिडी दी जाएगी। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को प्रभागीय वनाधिकारी वाराणसी महावीर कौजलगी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण एवं जैव विविधता के मध्य संतुलन को स्थापित करने की अपील किसानों से की है। श्री कौजलगी ने बताया है कि नमामि गंगे स्कीम में औषधीय और सगंध पौधों की खेती और क्लस्टर बनाने के लिए कृषक विभागीय कार्यालय से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना में किसान को न सिर्फ औषधीय खेती के लिए अनुदान मिलेगा बल्कि बाजार मुहैया कराने में भी महकमा मार्गदर्शन देगा।
इस योजना का लाभ गंगा नदी से दस किमी की परिधि में रहने वाले किसान प्राप्त कर सकते हैं। वन विभाग से संचालित एग्रीकल्चर लैंडस्केप पौधरोपण योजना में गंगा ग्रामों के किसान मेड़ों या खेतों पर अपनी इच्छानुसार शीशम, नीम, खैर, बबूल, अरु, मलबरी, सहजन, कदंब, सागौन, गम्हार, पॉपलर तथा फलदार में देशी आम, कटहल, अमरूद, आंवला, बेल, जामुन एवं नीबू के पौधे लगा सकते हैं। इसके लिए किसान स्वयं गड्ढा खोदने, पौधे लगाने और अनुरक्षण कार्य करेंगे। इसके लिए कृषकों को सब्सिडी के तौर पर सीधे पीएफएमएस के जरिये धनराशि मिलेगी।
औषधीय पौधों की है कई भूमिका
- योजना में पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने, नदी जल शुध्दिकरण और भूगर्भ जल संरक्षण के लिए सर्वाधिक जोर है। औषधीय पौधों का महत्व कुदरत के वरदानों में बेहद खास जगह है। यह पौधे मानव जीवन चक्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनसे न सिर्फ भोजन संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं बल्कि जीव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी यह आगे रहते हैं। मानव शरीर को निरोगी बनाने में औषधीय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है। यही कारण है कि पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथों में इसके उपयोग के कई साक्ष्य मिलते हैं। साथ ही इनकी खेती किसानों के आय का साधन भी हो सकते हैं।
नेचुरल लैंडस्केप स्कीम में कई लाभ
- नेचुरल लैंडस्केप स्कीम में किसान अपनी भूमि के मेड़ों पर पौधरोपण से फल-फूल, जड़ी-बूटी, इमारती लकड़ी और अन्य सामाग्री प्राप्त कर सकते हैं। यह पौधे वृक्ष का स्वरूप लेने पर पर्यावरण को वायु प्रदूषण से मुक्त करेंगे। साथ ही किसानों की भूमि को मृदाक्षरण से बचाने समेत भूगर्भ जल रिचार्ज करने में भी सहायक होते हैं। इसके अलावा किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में इनकी खेती सहायक होगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान किसान प्रभागीय वनाधिकारी, वाराणसी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
विभाग से मिलेगा मार्ग-दर्शन
- वर्तमान समय में बढ़ते वायु एवं जल प्रदूषण के दुष्परिणाम से बचने में औषधीय पौधों की खेती बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। औषधीय एवं सगंध पौधों में खस, लेमनग्रास, पामारोजा, तुलसी, कालमेघ, वच, सतावर, ब्राह्मी, सर्पगंधा आदि प्रजाति की खेती के लिए गंगातट की जलवायु अत्यंत अनुकूल है। साथ ही इन प्रजतियों की खेती के लिए नर्सरी के जरिये उच्च गुणवत्ता का प्लांटिंग मटेरियल भी उपलब्ध कराया जाता है। प्रभागीय वनाधिकारी महावीर कौजलगी के मुताबिक महकमे की ओर से किसान को ऐसी खेती के लिए तकनीकी गाइडेंस भी देता है।
प्रजातिवार दर प्रति एकड़
- वच 9075 रुपये, कालमेघ 3630 रुपये, शतावरी 9075 रुपये, तुलसी 4356, सर्पगंधा 15125 रुपये, ब्राह्मी 5808, खस घास 10 हजार रुपये, पामारोजा 4860 रुपये एवं लेमन ग्रास 4860 रुपये।
सब्सिडी पर एक नजर
- गड्ढा खोदने व पौधे रोपने में नियमानुसार प्रति पौधा 70 रुपये और प्रति हे. के लिए 10500 रुपये, पौधरोपण कर उसकी चार चरणों में देखभाल के लिए चरणबद्ध ढंग से नियमानुसार प्रति पौधा 20 रुपये से लेकर 30 रुपये तक और प्रति हे. 3000 रुपये से लेकर 45 सौ रुपये तक।


 


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