जिसका डर था वही हुआ, हमीद सेतु की रोलर बेयरिंग खिसकने से हड़कंप, भारी वाहनों पर रोक

ओवलोड वाहनों के चलते पीलर में पड़ी दरार



जनसंदेश न्यूज 
सुहवल/गाजीपुर। आखिरकार वहीं हुआ जिसकी आशंका थी, पुलिस की उदासीनता एवं विभागीय लापरवाही के चलते एक बार फिर रविवार की देर शाम गंगा नदी स्थित हमीद सेतु के पीलर नंम्बर छह एवं सात के मध्य ज्वाईंटर नंम्बर 14 की पश्चिम तरफ की रोलर बेयरिंग खिसकने से तीन इंच की दरार पड़ गई है। इसकी सूचना मिलते ही पूरे पुलिस प्रशासन में अफरातफरी मच गई। कोतवाली पुलिस ने सभी तरह के भारी वाहनों का पुल पर आवागमन रात्रि दो बजे से प्रतिबन्धित कर दिया। जिसके कारण दोनों तरफ वाहनों की लंम्बी कतार लग गई।
दरअसल, डीएम ने जिले में चल रहें विभिन्न परियोजनाएं को लेकर करीब 104 वाहनों की अनुमति डेढ़ माह पूर्व दी थी। लेकिन इन परियोजनाओं की आड़ में पुल पर अधिक सख्या में ओवलोड वाहन धड़ल्ले से पास कराए जा रहें थे। गंगा नदी स्थित हमीद सेतु पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद पुलिस ने सभी तरह के भारी माल वाहक वाहनों आने-जाने पर रोक लगा दी, वहीं मेदनीपुर, सुहवल थाना, कालूपुर, रजागंज, सुखदेवपुर आदि प्रमुख जगहों पर बैरिकेटिंग कर पुलिस कर्मियों की तैनाती कर दी है। 
सदर कोतवाल धन्नजय मिश्रा क्षतिग्रस्त जगह का मौका मुआयना करने के साथ बराबर गस्त कर रहे है। उन्होंने मातहतों को सख्त निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक किसी तरह के ओवरलोड वाहन पुल से न गुजर सके अन्यथा लापरवाही पाए जाने पर संम्बन्धित के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जायेगी।
वहीं स्थानीय लोगों ने आलाधिकारियों से मांग किया कि जिस तरह से ओवरलोड वाहन पुल से फरार्टा भर रहे है, उसपर सख्ती से रोक लगाई जाए ताकि आवागमन के लिए महत्वपूर्ण इस की सेहत को बिगड़ने से बचाया जा सके। आए दिन जिस तरह से इस महत्वपूर्ण सेतु जो आवागमन का मुख्य सेतु है इसके जरिए वाहन अपने गन्तव्य की तरफ गुजरते है, वहां बेखौफ होकर पुलिस की मिली भगत से ओवरलोडिंग का खेल चल रहा है। उस पर अगर सख्ती नहीं की गई तो भविष्य में कभी भी बड़ी घटना होने से रोका नही जा सकता है।  



पुल क्षतिग्रस्त होने से गैर प्रान्तों के सैकड़ो माल वाहक वाहन फसें
गाजीपुर। पुल क्षतिग्रस्त होने से विभिन्न गैर प्रान्तों, जनपदों से होकर ट्रक पर कोयला, सरिया, मोरंग, गिट्टी, खाद्य सामाग्री, सहित अन्य समान लदे अपने वाहनों के साथ चालक इस आस में सड़कों के किनारे खड़े है, कि शायद पुल से उन्हें जाने की हरी झंडी मिल जाए। पुल के क्षतिग्रस्त होने से सभी क्षेत्रीय आमजन पुलिस, परिवहन विभाग, खनन विभाग को कोसते नजर आ रहे है। कहना था कि अगर समय रहते संम्बन्धित विभाग ओवरलोडिंग पर रोक लगाए होते तो शायद आज पुल अपने दुर्दिन समय से नहीं गुजर रहा होता। फिलहाल पुल से सभी तरह के हल्के वाहनों का अभी आवागमन बना हुआ है जो राहत वाली बात है। अन्यथा जिस दिन पुल को सभी तरह के वाहनों के लिए बन्द कर दिया जायेगा लोगों को विषम परिस्थितियों से होकर गुजरना पड़ेगा।


पुल से 30 टन से अधिक वाहनों के संचालन पर था रोक
गाजीपुर। तत्कालीन जिलाधिकारी के बालाजी ने वर्ष 2019 में कई बार पुल के क्षतिग्रस्त होने एवं उसकी मरम्मत के कारण पुल की स्थिति को देखते हुए विभागीय अधिकारियों से विचार-विमर्श के उपरांत पुल से वाहनों की कुल भार क्षमता 30 टन से अधिक वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी, कुछ दिनों तक तो ठीक रहा। लेकिन उसके बाद पुलिस की मिली भगत से 40 टन से 70 टन तक के ओवरलोड वाहनों का संचालन बेखौफ शुरू हो गया। जिसका नतीजा आज सामने है। इस मामलें में उपजिलाधिकारी जमानियां सत्यप्रिय सिंह ने कहा कि भारी वाहनों का आवागमन रोक दिया गया है, सेतु के क्षतिग्रस्त होने की सूचना पर विभागीय कर्मी देर रात्रि आए थे जो आज शाम तक फिर आकर स्थिति को परखेंगे, कहा कि ओवरलोडिंग का खेल किसी कीमत पर नही होने दिया जायेगा, इसमें जिसकी भी संलिप्तता पाई जायेगी जांचोपरांत कड़ी कार्रवाई की जायेगी।


ओवलोडिंग के चलते कई बार क्षतिग्रस्त
गाजीपुर। वर्ष 2015,मार्च 2016 में दो बार ,दिसम्बर 2017, दिसम्बर 2018, 2019 में जनवरी फरवरी, मार्च एवं अप्रैल माह में इसके पहले कई बार यह सेतु क्षतिग्रस्त हो चुका है, यह हमीद सेतु पुलिस की उदासीनता के कारण ओवरलोडिंग के खेल के चलते क्षतिग्रस्त हो चुका है।


वर्ष 1974 तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने रखी आधारशिला
गाजीपुर। हमीद सेतु की आधारशिला तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने वर्ष 1974 में रखी थी, जो करीब दस वर्षों के अंतराल के बाद 1984 में बनकर तैयार होने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था। यह सेतु कैंटीलीवर संस्पेडेड पर आधारित है, जो 1100 मीटर लंबा है तथा 12 पीलरों, 26 ज्वाइंटर, 52 रोलर बेयरिंगों पर टिका है। तत्कालीन समय में यह करीब 30 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ था, जो तत्कालीन समय में पुल से होकर गुजरने वाले प्रति भार वाहन क्षमता करीब 25 से 30 टन निर्धारित था, लेकिन पुलिस की मिलीभगत से ओवरलोड वाहन धड़ल्ले से फरार्टा भरते रहे और सेतु के बार-बार क्षतिग्रस्त होने का सिलसिला जारी रहा।
 


 


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