धुंधली तस्वीर से धोखा खा गए 25 जिलों के अधिकारी, सरकार को ठगने वाली अनामिका के धोखाधड़ी की इनसाइड स्टोरी
बीएसए के सामने अनामिका शुक्ला ने फर्जी ढंग से नौकरी करने की बात स्वीकार की
वर्ष 2018 में कासगंज के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई
शिक्षिका ने गिरफ्तारी के बाद भी अपने शैक्षिक प्रमाणपत्र विभाग को उपलब्ध नहीं कराए
जनसंदेश न्यूज़
कासगंज। एक साथ 25 कस्तूरबा विद्यालयों में नौकरी करने की आरोपी शिक्षिका अनामिका शुक्ला का नाम एक ही है, लेकिन फंसाने कई हैं। अनामिका के नाम से नौकरी करने वाली शिक्षिका की गिरफ्तारी के बाद कई राज उजागर हुए हैं। आरोपी शिक्षिका ने पूछताछ में कासगंज पुलिस को जो अपना नाम-पता बताया, उसे लेकर भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कासगंज में गिरफ्तार हुई शिक्षिका ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के सामने फर्जी ढंग से नौकरी करने की बात स्वीकार की।
बीएसए अंजली अग्रवाल ने बताया कि आरोपी शिक्षिका ने वर्ष 2018 में कासगंज के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई थी। गिरफ्तारी के बाद आरोपी शिक्षिका ने अपना नाम प्रिया (26) पुत्री महीपाल निवासी लखनपुर, कायमगंज, फरुर्खाबाद बताया। जबकि विभागीय रिकार्ड के मुताबिक अनामिका शुक्ला पुत्री सुभाष चंद्र शुक्ला निवासी लखनपुर जिला फरुर्खाबाद कस्तूरबा विद्यालय में पूर्णकालिक विज्ञान शिक्षिका के रूप में तैनात हुई थी।
शिक्षिका की गिरफ्तारी की खबर जब प्रदेश में सुर्खियां बनी तो फरुर्खाबाद से उसके नाम को लेकर एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। कायमगंज क्षेत्र के गांव रजपालपुर के प्रधान अनिल गंगवार के अनुसार कासगंज में गिरफ्तार शिक्षिका प्रिया नहीं, बल्कि उनके गांव की सुप्रिया है। कुछ ग्रामीणों ने फोटो देखकर उसे पहचाना है।
प्रधान अनिल गंगवार ने उसके पिता महीपाल को फोन भी किया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। ग्रामीणों के मुताबिक कायमगंज के एक बेसिक स्कूल के शिक्षक ने सुप्रिया की नौकरी मैनपुरी में कुछ वर्ष पहले लगवाई थी। उधर, आरोपी शिक्षिका के बताए गए पते लखनपुर के प्रधान बबलू पाल ने बताया कि प्रिया नाम की युवती या महीपाल नाम का व्यक्ति उनके गांव में नहीं रहता। अनामिका मामले में गिरफ्तार शिक्षिका के नाम अलग-अलग होने से गुत्थी उलझती नजर आ रही है। हालांकि कासगंज के सीओ आरके तिवारी ने बताया कि पुलिस पूछताछ में युवती ने अपना नाम प्रिया बताया। उसके पिता का नाम महीपाल है। वो फरुर्खाबाद के लखनपुर की रहने वाली है। फिलहाल उससे पूछताछ जारी है।
शिक्षिका अनामिका शुक्ला के नाम से प्रदेशभर में हुए फर्जीवाड़े के तार मैनपुरी जिले से जुड़े हैं। कासगंज से गिरफ्तार शिक्षिका ने पूछताछ में बताया कि मैनपुरी के राज नाम के युवक ने उससे डेढ़ लाख रुपये लेकर जो दस्तावेज दिए थे उनके आधार पर नौकरी की, जबकि उसके मूल दस्तावेज युवक ने खुद अपने पास रख लिए थे। पुलिस की जांच में और भी कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। पुलिस पूछताछ में युवती ने अपना नाम प्रिया बताया। वो फरुर्खाबाद जिले के लखनपुर की रहने वाली है। मैनपुरी जिले के राज नाम के युवक ने उसे झांसा दिया कि वो ऐसे दस्तावेज उपलब्ध करा देगा कि हर हाल में पूर्णकालिक शिक्षिका के रूप में नौकरी मिल जाएगी। इसके लिए युवक ने शिक्षिका से डेढ़ लाख रुपये लिए थे।
शिक्षिका ने पुलिस को दो मोबाइल नंबर उपलब्ध कराए हैं। दोनों ही मोबाइल नंबर जालसाज राज के बताए गए हैं। पुलिस ने मोबाइल नंबरों को ट्रेस किया, लेकिन दोनों बंद हैं। अब सर्विलांस टीम का सहारा लिया जा रहा है। पुलिस अब यह पता कर रही है कि मोबाइल नंबर किस आईडी पर है और अंतिम बार उन नंबरों पर किससे बात हुई। शिक्षिका के साथ-साथ पुलिस ने उसका त्यागपत्र देने बीएसए कार्यालय के युवक को भी हिरासत में ले लिया है। उससे भी पुलिस पूछताछ कर रही है। पता किया जा रहा है कि वह शिक्षिका की जालसाजी से जुड़ा है या नहीं। हालांकि अभी तक उस युवक ने पुलिस को कुछ स्पष्ट नहीं बताया है।
बागपत जिले में अनामिका शुक्ला के नाम से मुकदमा दर्ज है, जबकि अब तक की जांच में विभाग ने पाया है कि अनामिका शुक्ला फरुर्खाबाद के गांव लखनपुर की है। वो कायमगंज की नई बस्ती में रह रही थी। फरुर्खाबाद में भी उसके खिलाफ जांच चल रही है। ऐसे में विभाग जांच करा है कि आखिर दस्तावेजों से जालसाज ने किस तरह और क्या-क्या छेड़छाड़ की। शिक्षिका ने गिरफ्तारी के बाद भी अपने शैक्षिक प्रमाणपत्र विभाग को उपलब्ध नहीं कराए हैं। विभाग ने उसके प्रमाणपत्रों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में जिला समन्वयक बालिका शिक्षा गौरव कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी कासगंज राजेंद्र बोरा, खंड शिक्षा अधिकारी श्रीकांत पटेल को शामिल किया गया है।
शिक्षिका अनामिका शुक्ला के धुंधले दस्तावेजों ने प्रदेश के 25 जिलों के अधिकारियों को धोखा दे दिया। उसके दस्तावेजों में छपी फोटो स्पष्ट नहीं होने के कारण पहचान ही नहीं हो सकी है। महज रोल नंबर के आधार पर ही सत्यापन होते रहे और उसकी जगह कोई और नौकरी करता रहा। मानव संपदा पोर्टल पर जब शिक्षकों की आईडी फीडिंग का काम शुरू हुआ तब एक ही नाम से कई जगह नौकरी करने का मामला सामने आया। कासगंज में गिरफ्तार युवती अनामिका के नाम से नौकरी कर रही थी। इतना ही नहीं इन सभी की आईडी भी एक ही थी।
इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई। दो दिन पहले ही लखनऊ से परियोजना निदेशक ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अंजलि अग्रवाल को पत्र भेजकर कासगंज में अनामिका शुक्ला के नाम से नौकरी कर रही शिक्षिका की जांच के निर्देश दिए। बीएसए ने फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अनामिका शुक्ला के सभी दस्तावेज और उसके मूल प्रमाण पत्र निकलवाए हैं। अब मूल पहचान पत्रों और शैक्षिक दस्तावेजों से जांच होगी कि आखिर कौन से दस्तावेज असली हैं और कौन से दस्तावेज फर्जी हैं। यह तो तय है कि 25 में से 24 जगह अनामिका के फर्जी दस्तावेजों से नौकरी ली गई है।
विभाग ने उसके प्रमाणपत्रों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में जिला समन्वयक बालिका शिक्षा गौरव कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी कासगंज राजेंद्र बोरा, खंड शिक्षा अधिकारी श्रीकांत पटेल को शामिल किया गया है। यह समिति प्रमाणपत्रों की जांच कर तय करेगी की शिक्षिका ने नौकरी में जो प्रमाण पत्र लगाए हैं, वो असली हैं या फर्जी बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजली अग्रवाल ने बताया कि शिक्षिका को प्रथम दृष्टया फर्जी अभिलेखों से नौकरी करने का दोषी पाया गया है, लेकिन सही तथ्य जांच के बाद ही सामने आ सकेंगे। इसके लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। शिक्षिका से भी सभी प्रमाणपत्र मांगे हैं। उससे प्रमाण पत्र मिलते ही जांच शुरू हो जाएगी।