चेहेतों की चांदी : जिला पंचायत विभाग में 'खास' ठेकेदारों को पहले के अपूर्ण कार्यों के बाद भी मिला नया कार्य, 'प्रमाण पत्र' भी हुआ जारी



जनसंदेश न्यूज 
गाजीपुर। जिला पंचायत विभाग के टेंडर में आवेदन को लेकर बड़ा खेल सामने आया है। विभागीय अभियंता ने चहेते ठेकेदारों को कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। विभाग में इस फर्जीवाड़ा को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है।
बीते आठ मार्च को जिला पंचायत में 233 कार्याे को लेकर निविदा आमंत्रित किया गया था। जिसमें पंजीकृत ठेकेदारो को 21 मार्च तक आवेदन करना था। विभाग में निविदा खोलने की तिथि भी 21 मार्च तय किया गया था। निविदा आवेदन के साथ ही विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि जिन ठेकेदारों के गत वर्षाे के स्वीकृत कार्य दो से अधिक अपूर्ण होंगे वे टेंडर में भाग नहीं ले सकेंगे। साथ ही निविदा में यह भी बताया गया कि अभियंता द्वारा निर्गत कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र संलग्न करना टेंडर के साथ अनिवार्य होगा। लेकिन जिला पंचायत की निविदा में बहुत से ऐसे ठेकेदारों ने आवेदन कर दिया, जिनके दो से अधिक कार्य अपूर्ण थे। 
आश्चर्य की बात यह है कि अभियंता ने अधिकतर ठेकेदारों को पूर्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि अभियंता किन परिस्थितियों में ऐसे ठेकेदारो का कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र जारी किया है, जो आवेदन के लिए अपात्र थे। सूत्रों के मुताबिक जिला पंचायत विभाग में ठेकेदारी प्रथा अधिकारियों के इशारे पर ही चलती है। विभाग में किसी कार्य को लेकर कमीशन निर्धारित है। जो भी ठेकेदार इनके मानक में आता है वह आसानी से कार्य कर ले जाता है। 
विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिला पंचायत विभाग में सत्र 2019-20 में करीब 60 पंजीकृत ठेकेदार थे। जिसमे से लगभग 15-20  ठेकेदारों के कार्य दो से अधिक अपूर्ण थे। इसके बावजूद अभियंता ने चहेते ठेकेदारो को लाभ पहुंचाने के लिए 19 मार्च को कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिए। जिनका 50 से 60 प्रतिशत कार्य बाकी था।  हालांकि जिला पंचायत विभाग में दो माह बाद भी टेंडर नहीं खोलने को लेकर लापरवाही सामने आ चुकी है। पंजीकृत ठेकेदारों के आक्रोश के बाद खोला गया। इस संबंध में जिला पंचायत अभियंता बलिराम ने बताया कि ऐसे किसी ठेकेदार को कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। 


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