बिल वापस करने को केंद्र पर दबाव डालें राज्य सरकारें, देशव्यापी सांकेतिक विरोध में शामिल हुए बिजली विभाग के कर्मचारी व अभियंता


इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2020 के खिलाफ काली पट्टी बांधकर दर्ज कराया अपना रोष


विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति ने भिखारीपुर स्थित विभागीय कार्यालय के बाहर प्रदर्शित की मांग

जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंपलॉईस एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईई ) के आह्वान पर सोमवार को बिजली विभाग के कर्मचारियों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ देशभर में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया। इसमें महकमे के 15 लाख कर्मचारियों और इंजीनियरों की भागीदारी रही। वाराणसी के विभागीय कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने भी इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2020 के विरोध में हिस्सा लिया। काली पट्टी बाँध कर विरोध दर्ज कराते हुए केंद्र सरकार से बिल वापस लेने की मांग की। साथ ही विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्वांचल डिस्काम के प्रबंध निदेशक को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
बिजली कर्मियों ने अपनी-अपनी ड्यूटी करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। संघर्ष समिति के सदस्य भिखारीपुर स्थित कायार्लय से बाहर अपनी मांगों से जुड़े संदेशों का प्रदर्शन किया। उन्होंने इस बात पर गहरा रोष जताया कि कोविड-19 महामारी के संपूर्ण देश एकजुट होकर इस संक्रमण से जब संघर्ष कर रहा है तब केंद्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2020 जारी कर  निजीकरण करने में जुटी है। इससे बिजली कर्मियों में आक्रोश बढ़ रहा है। सदस्यों ने मांग की कि उपभोक्ता और किसान विरोधी प्राविधानों से जुड़ा यह बिल सभी को वापस लिया जाय। इसके लिए सभी राज्य और प्रत्येक मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर दबाव डाले।
उन्होंने आरोप लगाया कि वास्तव में बिजली का निजीकरण किसानों और आम उपभोक्ताओं संग धोखा है। प्राइवेटाइजेशन के बाद बिजली दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी होगी। कोरोना संक्रमण काल में केंद्र का इस प्रकार का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।
वक्ताओं ने कहा कि इस बिल में नई टैरिफ नीति में सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी समाप्त करने की बात कही गयी है। और किसी को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी। नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से स्वाभाविक तौर पर बिजली महंगी होगी। बिजली लागत का राष्ट्रीय औसत 06.78 प्रति यूनिट है और निजी कंपनी एक्ट के अनुसार  कम से कम 16 फीसदी मुनाफा लेने के बाद आठ रुपये प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं देगी। सो, एक किसान को लगभग छह हजार रुपये प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को छह हजार से आठ हजार रुपये प्रति माह तक बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा।
संघर्ष समिति की ओर से इस मौके पर चंद्रशेखर चौरसिया, सुनील कुमार यादव,  मायाशंकर तिवारी, एके श्रीवास्तव, राजेंद्र सिंह, अंकुर पांडेय, रामबदन यादव, नीरज बिंद, मदनलाल, जगदीश पटेल, रमन श्रीवास्तव, रमाशंकर पाल, ओपी भारद्वाज, राजेश कुमार, वीरेंद्र सिंह, संजय भारती, कृष्ण मोहन, शशि कुमार सिंह, जीउत लाल, राम कुमार, एपी शुक्ल,  केदार तिवारी, संजय भारती, संतोष वर्मा, एके सिंह, अनिल कुमार, राजेश गौतम, कृष्णानंद, दिनेश सिंह, विजय मोहन आदि रहे।


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