सहकारी समितियों पर भाजपा की तीखी नजर, सभापति और उप सभापति का चुनाव स्थगित आखिर क्यों?
महत्वपूर्ण कमेटियों पर अधिकार जमाने को कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता शीर्ष नेतृत्व
पिछले करीब डेढ़ दशक से था यूपी सहकारी ग्राम्य विकास बैंक पर एक पार्टी का कब्जा
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच जारी लॉकडाउन में भी एक तरफ प्रदेश सरकार जहां कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ा रही है तो वहीं मुसीबत में फंसे लोगों की मदद में भी पूरी तरत्परता से जुटी हुई है। इसके साथ ही मिशन-2022 को भी भूली नहीं है। यहीं वजह है कि भाजपा की निगाहें हाल के दिनों में होने वाली सहकारी समितियों के चुनावों पर टिकी हुई है। सरकारी समितियों के महत्वपूर्ण कमेटियों पर अधिकार जमाने के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कोई कोर-कसर भी नहीं छोड़ना चाहता है। इसके लिए पार्टी स्तर पर गुपचुप तैयारियां भी शुरू कर दी गयी है।
भाजपा सूत्रों की मानें तो बीते लोकसभा चुनावों तक सहकारी समितियों पर पार्टी की नजर नहीं थी, लेकिन अब भाजपा का नजरिया बदल चुका है। भाजपा 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले सहकारिता की शीर्ष संस्थाओं के साथ सभी साढ़े सात हजार सहकारी समितियों पर कब्जा करने का लक्ष्य बना चुकी है। इसी के तहत अपने चुनिंदा और पार्टी के प्रति वफादार नेताओं को लगाया भी जा चुका है। जानकारों की मानें तो अभी तक शीर्ष सहकारी संस्थाओं पर एक ही पार्टी के शीर्ष नेता और उनके चहेतों का ही कब्जा था। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव अभी तक उत्तर प्रदेश ग्राम्य विकास बैंक की प्रबंध कमेटी के सभापति थे। उनका कार्यकाल बीते छह अप्रैल को ही खत्म हो गया। जबकि उनका बेटा अभी भी पीसीएफ का अध्यक्ष है।
सहकारिता से जुड़े जानकारों की मानें तो अब होने वाले चुनाव में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव का उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक की प्रबंध कमेटी में सभापति के पद पर लौटना आसान नहीं होगा। नए नियम तो शिवपाल की राह बंद ही कर रहे हैं। नए नियमों के मुताबिक किसी संस्था में लगातार दो बार अध्यक्ष रहा व्यक्ति तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ सकता। वहीं, भाजपा भी सहकारिता की इस महत्वपूर्ण कमेटी पर अपना अधिकार जमाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहती। यहीं वजह है कि तीन अप्रैल को बैंक की प्रबंध समिति के सभापति और उप सभापति पद के लिए होने वाले चुनाव को ऐन वक्त पर रोक दिया गया था।
हो चुकी थी चुनाव की घोषणा
सहकारिता से जुड़े जानकारों की मानें तो उप्र राज्य सहकारी समिति निर्वाचन आयोग ने ग्राम्य विकास बैंक की 323 शाखाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैंक की प्रबंध कमेटी का चुनाव एक जनवरी को कराने की घोषणा कर दी थी। बैंक के तत्कालीन एमडी ने सात नवम्बर 2019 को चुनाव आयोग को जानकारी दी थी कि बैंक की प्रबंध कमेटी के साथ सभापति का कार्यकाल छह अप्रैल 2020 को पूरा हो रहा है। इसी सूचना के आधार पर चुनाव के तारीखों की घोषणा की गयी थी। इसके तहत शाखा प्रतिनिधियों का चुनाव बीते 27 फरवरी को और तीन अप्रैल को बैंक की प्रबंध समिति के सभापति और उपसभापति का चुनाव होना था। लेकिन यह चुनाव रोक दिए गए। सूत्रों का दावा है कि सरकार के इशारे पर चुनाव स्थगित किए गए।