मजदूरों का टार्गेट पूर्ण करने में कहीं फर्जीवाड़ा न शुरु हो जाय!


गांवों में कोरोना के केस बढ़ने से ग्राम पंचायतों में काम रोकने पर श्रमिकों की कमी


यूपी में मनरेगा में 50 लाख मजदूरों को रोजगार देने के लक्ष्य को लेकर बढ़ा संकट


जिले में अभी कार्यरत करीब 32 हजार मजदूरों में 15 सौ से ज्यादा प्रवासी श्रमिक


बीते शनिवार तक जनपद से 21 ग्राम पंचायतों में ठप कर दिये गये हैं मनरेगा कार्य

जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। लॉक डाउन में विभिन्न वर्ग समेत गरीब तबके में बढ़े आर्थिक संकट को देखते हुए जॉब कार्डधारकों और घर लौटे प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा के जरिये अधिक से अधिक रोजगार देने के शासन के लक्ष्य को लेकर असमंजस की स्थिति है। योगी सरकार ने सूबे में 50 लाख मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है। उसी अनुपात में वाराणसी जनपद में भी औसतन 50 हजार से अधिक श्रमिकों को मनरेगा से रोजगार दिलाने की दबाव बढ़ रहा है। ग्रामीणों इलाकों में कोरोना के केस में लगातार वृद्धि पर संबंधित ग्राम पंचायतों में विकास कार्य रोकना एक आवश्यक बाध्यता भी है। ऐसे में श्रमिकों को रोजगार देने के नाम पर फर्जीवाड़ा को बढ़ावा मिलने की आशंका जतायी जा रही है।
कोविड-19 महामारी के चलते जारी लॉक डाउन में श्रमिक वर्ग के परिवारों में रोजी-रोटी के संकट को देखकर शासन ने नियम तय करते हुए ठप पड़े विकास कार्यों को आरंभ करने की पहल की है। उसमें मनरेगा से कराए जाने वाले कार्य भी शामिल हैं। सेनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए कार्य कराये जा रहे हैं। दूसरी ओर, वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण इलाकाई लोगों की सेहत की सुरक्षा के उद्देश्य से संबंधित गांव से जुड़ी पूरी ग्राम पंचायत में ही मनरेगा कार्य समेत अन्य विकास कार्य रोके जा रहे हैं।
फलस्वरूप मनरेगा श्रमिकों की संख्या में कमी आ रही है। तमाम गांवों में सैकड़ों प्रवासी मजदूर हेल्थ टेस्ट में पूरी तरह स्वस्थ होने के बावजूद होम कोरेंटाइन हैं। फिर भी वहां के अन्य ग्रामीण उन प्रवासी श्रमिकों को लेकर सशंकित हैं। संबंधित ब्लाक मुख्यालय के स्टाफ को भी ग्रामीणों की अनावश्यक आशंकाओं को लेकर तनाव का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय जानकारी के मुताबिक जनपद में फिलहाल करीब 32 हजार मजदूर मनरेगा में कार्य कर रहे हैं। उनमें करीब डेढ़ हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं। जबकि 50 हजार से अधिक मजदूरों को मनरेगा में लगाने का दबाव है।
दूसरी ओर, बीते शनिवार तक कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण जिले के 21 ग्राम पंचायतों में कार्य ठप हैं। रविवार को कोरोना के कई नये केस आने के बाद आशंका जतायी जा रही है कि कुछ और ग्राम पंचायतों में भी मनरेगा कार्य रोके जा सकते हैं। इस स्थिति में चर्चा है कि मनरेगा कार्य के लिए श्रमिकों की संख्या बढ़ाने के लिए शासन से मिले लक्ष्य की खानापूरी करने के लिए विकास कार्यों और उनमें लगाए गये श्रमिकों की संख्या को लेकर फर्जीवाड़ा भी हो सकता है।
इन ग्रापं. में ठप हैं मनरेगा कार्य
आराजी लाइन ब्लाक का प्रतापपुर, कुरौना एवं खेवसीपुर, चिरईगांव विकास खंड का बराई, छितौना, नरायनपुर, चिरईगांव, भर्थराकला, खरगीपुर, मोकलपुर, चोलापुर ब्लाक में हरिदासीपुर, लटौनी, बड़ागांव विकास खंड में रामपुर, सेवापुरी ब्लाक में हीरमपुर, पिंडरा ब्लाक में गाडर, रतनपुर, गरखड़ा, महगांव, चोलापुर विकास खंड में कैथी व लटौनी, हरहुआ ब्लाक में माधोपुर, काशी विद्यापीठ ब्लाक में विशोखर।


 


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