लॉकडाउन में आधी हो गई कमाई, सब्जियों के सड़ने से मुनाफा घटा
-अचानक सब्जी के उत्पादन बढ़ने और खपत कम होने से सब्जी बेचने वालों की बढ़ी दिक्कतें
-कच्चा सौदा होने और नहीं बिकने की स्थिति में सड़ जा रहीं सब्जियां
वाराणसी। लॉक डाउन में सब्जी विक्रेताओं की कमाई आधी हो गई। इसके पीछे मुख्य वजह अचानक सब्जी की मांग में बेतहासा कमी है। जबकि खुशनुमा मौसम होने और पुरूआ हवा बहने से सब्जी का उत्पादन इन दिनों जमकर हो रहा है लेकिन कोरोना संक्रमण के डर से अधिकांश ने हरी सब्जी खरीदने से तौबा कर लिया है जिससे खेतों से बाजार तक पहुंची सब्जियां सड़ने लगी हैं। कईयों मंडियों व बाजारों में तो खरीदार नहीं आने से किसान और यहां तक की व्यापारी भी सब्जियों को फेंक दे रहे हैं जिससे सब्जी उगाने वाले किसानों से लेकर उसे खरीदकर बाजार में बेचने वाले व्यपारियों व हॉकरों को समस्या उत्पन्न हो गई है। खरीदारों का मानना है कि सब्जी बेचने वाले तमाम लोगों के संपर्क जाते हैं जिससे कोरोना होने का खतरा बना रहता है।
घर से देना पड़ रहा पैसा
चंदुआ सट्टी में घुसते ही मुख्य गेट पर आलू-प्याज की दुकान लगाने वाले बाबू सोनकर मिले। बात शुरू किया तो कहने लगे कि कमाई बहुत कम हो गया है। सहयोग में लगे लेबरों को घर से पैसा देना पड़ रहा है। पहले मेरे दुकान पर चार लेबर सहयोग में रहते थे, अच्छी खासी कमाई होती थी जिससे सबकी रोजी-रोटी चलती रहती थी। इन दिनों सट्टी में पुलिस का पहरा होने और खरीदारों की कमी होने के चलते घर से लेबरों को पैसा देना पड़ रहा है। जैसे-तैसे इस उम्मीद पर काम चल रहा है कि आने वाले समय में इसकी भरपाई हो जाएगी।
सब्जियों के सड़ने से मुनाफा घटा
लहरातारा सब्जी मंडी में ठेला पर सब्जी बेचने वाले अभिषेक, डब्ल्यू भारती, सीताराम व शनि सोनकर बताते हैं कि सब्जियां इन दिनों नहीं बिकने से काफी सड़ जा रही है जिससे मुनाफा नहीं हो पा रहा है। कमाई कम होने के बावजूद बेचना विवशता है क्योंकि नहीं बेचने से दिक्कतें आने वाले समय में और बढ़ेंगी। बताने लगे कि कोरोना का लोगों में इस कदर डर है कि सब्जी सस्ती होने के बाद भी लोग लेने से कतराते हैं। जो लोग लेते भी हैं वह दूर से सहमे अंदाज में।
10 रुपया किलो बिक रहा भिंडी, नेनुआ
सब्जियों के उत्पादन बढ़ने से दाम घट गए हैं। हालात यह है कि फुटकर सब्जी के दाम काफी कम हो गए हैं जिससे किसानों को लागत हीं नहीं मिल पा रही है। वहीं ठेला-पटरी व्यवसाईयों को भी सस्ते दाम पर सब्जी बेचना मजबूरी हो गई है। सिजनल सब्जी भिंडी और नेनुआ फुटकर बाजार में 10 रुपया किलो बिक रहा है। वहीं लौकी, कोहड़ा, करैली, बोड़ी भी 10 से 15 रुपया किलो बिक रहा है। रवि कुमार, शिव सोनकर, अमृत सोनकर, सुरेश सोनकर, सोनाली भारती, सोनू सोनकर राजन भारती आदि सब्जी विक्रेता कहते हैं कि सब्जी बेचने का जो समय मिल रहा है वह भी काफी कम मिल रहा है। फेरी लगा जरूर रहे हैं लेकिन तेज धूप होने के कारण बहुत दूर तक नहीं जा पा रहे हैं। सब्जियों के कम बिकने का एक कारण यह भी है। सर्वाधिक सब्जी नौकरी-पेशा व होटल आदि चलाने वाले खरीदते थे, जो अब नहीं खरीद रहे हैं। होटल बंद होने से थोक सब्जियां नहीं बिक पा रही हैं।