कैसी है ये लड़ाई? टिक-टॉक और यूट्यूब कौन किसकी ओर हैंं भाई!’


आयुषी तिवारी
पिछले कई दिनों से टिक-टॉक और यूट्यूब के बीच लगातार बवाल मचा हुआ है, जैसे पूरी दुनिया ही टिक टॉक और यूट्यूब में विभाजित हो गई हो। आश्चर्य होता है कि हमारा देश, जिसे युवा देश कहा जाता है, वहां युवाओं का नाहक किसी ऐसे बिंदु पर मतभेद करना। ये कैसी होड़ है? क्या कभी टिक-टॉक या यूट्यूब के संस्थापकों ने ऐसी कल्पना की होगी? आजकल सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यही बातें चल रही है।
’क्या है वजह?’
बीते कुछ दिनों से यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर रोस्ट (मनोरंजन) करने वाले कैरीमिनाटी जिनका वास्तविक नाम अजय नागर है, उन्होंने एक वीडियो बनाया था। इस वीडियो में कैरी ने एक टिक टॉकर को रोस्ट किया था, हालांकि इस विवाद ने कैरी को टिक टॉक स्टार ने ही घसीटा था। कैरी के रोस्ट किये गए वीडियो को दर्शक काफी पसंद कर रहे थे। यह वीडियो रिकॉर्ड बना चुका था, साथ ही साथ कई रिकॉर्ड तोड़ भी चुका था। इस वीडियो को 7.5 मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके थे, बावजूद इसके इस वीडियो को यूट्यूब ने कैरीमिनाटी के चैनल से हटा दिया। शायद इस विवाद को बंद करने की चाहत में। पर ऐसा नही हुआ। वीडियो हटाये जाने के कारण कैरी के फैंस और दोस्तों को गुस्सा आ गया और उन्होंने टिक-टॉक को बैन व बायकॉट करने की अपील की, यही नही जिस टिक टॉकर को कैरीमिनाटी ने रोस्ट किया था उस टिकटॉकर का कैरी को गाली देते हुए कई सारी ऑडियो भी वायरल हुये। इस पर अनवरत बहस जारी है।
ऐसे बहस का कारण क्यों बनना
बहस करना अच्छी बात है, पर बात वैसी होनी भी चाहिए, ऐसी बात पर बहस नही करनी चाहिए जो हमारे नैतिकता पर सवाल उठाए, किसी को क्षति पहुंचाए, ये बात एक शिक्षित, समझदार और जिम्मेदार व्यक्ति को बिलकुल शोभा नही देती। किसी चीज को देखने, परखने और समझने का हमारे नज़रिये का बड़ा फ़र्क पड़ता है। वाद-विवाद तो राजनीति और प्रतियोगिता में ही शोभा देती।



(Ayushi Tiwari)



बायकॉट टिक-टॉक पर विचार
टिक-टॉक पर भारत में ही नही अपितु बांग्लादेश, इंडोनेशिया इत्यादि देशों में सवाल उठे है और इस पर बैन लगाया/हटाया गया है। भारत में इससे पहले 13 अप्रैल को 2019 में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत में अश्लील साहित्य को प्रोत्साहित करने पर बैन लगाया था।
टिक-टॉक कटघरे में इसलिए रहता क्योंकि ये बहुत ही सस्ता और सरल प्लेटफॉर्म है, जिसे कोई भी आसानी से प्रयोग कर सकता और कुछ भी डाल सकता। पर ऐसी बाते तो हर जगह पर है। हर प्लेटफॉर्म पर सही के साथ-साथ गलत चीजें भी है। जैसे-धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, सेक्ससुअल कंटेंट, भद्दे कमेंट्स अनेक प्रकार की बातें।
कुछ लोग ये बिना समझे ही #बायकॉट कर रहे एक दूसरे को देख के और लिख रहे ये चाइना का है, अरे भाई जो व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम ये सब कौन सा मेड-इन-इंडिया का है। किसी चीज के पीछे दो बात होती, एक जो दिखता है और दूसरा जो नही दिखता तो जरुरत है जो नही दिख रहा उस पर विचार करने की उसको समझने की।
कोई भी प्लेटफॉर्म हो या सोशल मीडिया हो हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम उसका प्रयोग कैसे करते है। फिर चाहे वो फेसबुक हो, व्हाट्सएप्प हो, यूट्यूब हो या कुछ और। आखिर टिक-टॉक खराब करके रखा कौन है, कही भी अभद्र बातें कहां से आती हैं, कौन करता, गौर से देखेंगे तो इसमें हम और आप में से ही कुछ लोग हैं। 
अगर टिक-टॉक पर विचार करें तो यह एक बहुत ही आसान और अच्छा प्लेटफॉर्म है, जिस पर हम अपने अंदर की कला को बाहर ला सकते चाहे वो कोई हो किसी भी स्टेटस का हो, उसके पास कोई भी फ़ोन हो। बहुत से लोग ऐसे है, जिनका कंटेंट काफ़ी अच्छा है और उन्होंने टिक-टॉक से ही एक पहचान बनाई है। हर चीज की अपनी-अपनी विशेषता है, हम रोटी और चावल की तुलना क्यों करें? दोनों की अपनी जगह और अपनी पसंद है, जिसे जो पसन्द हो वो खाये।
इस मुद्दे पर भंवरे और मक्खी का उदाहरण सटीक बैठता है और हमें सिख देता...बगीचे में एक ही फूल हो तो भो भंवरा उसी फूल पर बैठेगा, लेकिन अगर उसी बगीचे में चारों-ओर फूल हो, कही थोड़ी सी गन्दगी हो तो मक्खी उस गन्दगी में बैठेगी। ठीक उसी तरह हमें किस ओर जाना ये हमारे उपर निर्भर करता अच्छाई की तरफ या बुराई की तरफ।



आयुषी तिवारी
शिक्षार्थी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ


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