गिड़गिड़ाती रही गर्भवती लेकिन चिलचिलाती धूप में प्रवासियों को बस से उतार भागा चालक
मुम्बई से चले थे सपरिवार मजदूर, मिर्जामुराद हाइवे पर छोड़ कर भागा
प्रभारी निरीक्षक ने दूसरी बस का इंतजाम कर भिजवाया डिस्पैच सेंटर
जनसंदेश न्यूज़
मिर्जामुराद। कोरोना संक्रमण काल में प्रवासी श्रमिकों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। ट्रेनों और बसों के साथ ही पैदल आने-जाने वाले प्रवासी श्रमिकों, कामगारों और उनके परिजनों पर तो इन दिनों मानों पहाड़ सा टूट पड़ा है। ऐसा ही एक जत्था सरकारी मदद से मुम्बई से अपने घर के लिए निकला था। लेकिन बस चालक ने इन प्रवासियों को चिलचिलाती धूप में मिर्जामुराद क्षेत्र के खजुरी स्थित हाइवे पर उतार दिया और भाग निकला।
हुआ यह कि बिहार के रहने वाले 40 प्रवासी महिला और पुरुषों को लेकर बस चालक मुंबई से चला था। जब वह मिर्जामुराद क्षेत्र के खजुरी स्थित हाइवे पर पहुंचा तो बस रोक दी। बस में बैठे सभी से कहा कि बस खराब हो गई है और अब आगे नहीं जा सकती। आप लोगों को यहीं उतरना होगा। जब मजदूरों ने कहा कि हम लोगों को बिहार जाना है। बीच रास्ते में कहां रुकेंगे तो बस चालक ने डांटते हुए सभी मजदूरों को जबरजस्ती नीचे उतार दिया। इस दौरान गर्भवती महिला चालक के सामने गिड़गिड़ाती रहीं, लेकिन उसका दिल नहीं पसीजा और बस लेकर भाग निकला। सभी प्रवासी मजदूर पत्नी-बच्चों के साथ चिलचिलाती धूप में तड़पड़ाते दिखे। परेशान मजदूरों ने इसकी सूचना डॉयल 112 नंबर पर दिया। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे प्रभारी निरीक्षक सुनील दत्त दुबे व पीआरबी के पुलिस वालों ने प्रवासियों को लेकर आई बस संख्या (यूपी 93 बीटी 0283) के बाबत छानबीन की, मगर बस का पता नही चल सका।
कुछ देर बाद प्रभारी निरीक्षक सुनील दत्त दुबे ने दूसरी बस मंगवा कर सभी प्रवासियों को मोहनसराय (टडिया) स्थित डिस्पैच सेंटर भेजवाया। बिहार के मनोज, गोली, गुलाबी, राजकुमार, दीपनायन, सत्यनारायण कुशवाहा, सन्तोष विश्वकर्मा, भीम, आकाश, मनीष, प्रेमशीला देवी, सुबोध शर्मा, राधा देवी, राहुल कुमार, रौशन, रितेश, मऊ के प्रदीप, रामचन्द्र, शीबू, शनि और आजमगढ़ के सतीश, हरिशकर, हरिहर, राजकुमार, सर्वेश आदि ने बताया कि कुछ लोग मुम्बई में रहकर बिल्डिंग कंट्रक्शन कम्पनी में लेबर-मिस्त्री का काम करते थे। जबकि कुछ लोग फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। कोरोना महामारी के बाद देश में लॉकडाउन लग गया तो खाने-पीने के लाले पड़ गए। किसी तरह तो गुजर-बसर हो जा रहा था। लेकिन अब न तो खाने के लिए पैसा बचा और न ही रूम का भाड़ा देने के लिए। ऐसे में हम सभी वहां से पैदल ही चल दिये थे। कुछ दूर तक पैदल आये थे कि प्रशासन ने रोक लिया। किसी तरह वहां से बस से एमपी बार्डर भेजा गया। फिर वहां करीब पांच घण्टे रहने के बाद बस से यूपी बार्डर झांसी भेजा गया। बस में बिहार के लोग ज्यादे थे तो मऊ-आजमगढ़ के लोगो को बनारस छोड़कर बस बिहार के लोगो को छोड़ने जाता। लेकिन इसी बीच बस चालक वाराणसी बार्डर में आने के बाद हम सभी को उतार दिया। बस में सवार में सवार बिहार निवासिनी गर्भवती महिला राधा देवी, बस चालक के सामने गिड़गिड़ाती रही कि कम से कम हम लोगों को वाराणसी शहर तक छोड़ दो लेकिन चालक को रहम नही आई और वही छोड़ कर बस सहित भाग निकला। मजदूरों ने बताया कि रास्ते मं प्रशासन द्वारा जो भी खाने-पीने को मिला उसी से किसी तरह काम चलाया गया।