बीच बाजार में अचेत हुए अधेड़ की अचानक हो गई मौत, दुकानें बंद कर भाग खड़े हुए लोग
कोरोना के भय के कारण अधेड़ के पास भी नहीं पहुंचा कोई व्यक्ति
जनसंदेश न्यूज़
जौनपुर। कभी जिस भाईचारे और मानवता की मिसालें पेश की जाती थी, कभी जिस अपनत्व के लिए भारत जाना जाता रहा। आज कोरोना संकट में सब बेमानी लगता है। आज लोगों को खुद अपनी जान की पड़ी हुई है। हर तरफ कोरोना के भय के साये में जी रहे लोग किसी के मदद की तो छोड़िएं दूर से ही नमस्ते कह कर निकल ले रहे है। ऐसे समय में बाहर से लौटे उन प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों की हालत तो और खराब है, जिन्हें लोग मदद कम लेकिन शक की निगाह से ज्यादा देख रहे है।
कोरोना काल में जनपद से एक ऐसी तस्वीर सामने आई। जिससे मानवता तो लज्जित हुई ही यह सवाल भी खड़ा हुआ कि आखिर कोरोना का भय कबतक लोगों को यूं ही सताता रहेगा और कबतक लोग यूं ही एक दूसरे से दूर भागते रहेंगे।
दरअसल जनपद के भीमपुर निवासी सदानंद यादव रोजी रोटी की तलाश में घर से दूर मुंबई में बेटे के साथ रहकर कपड़ा बेचने का काम करते थे। कोरोना संकट आया तो आजिविका भी छिन गई, ऐसे में वें भी अन्य श्रमिकों की भांति बेटे को लेकर पैदल तो ट्रक के सहारे किसी तरह घर पहुंचे थे।
घर पहुंचने के बाद से ही वें बेटे साथ होम क्वांरटीन थे। शुक्रवार को कोई सामान लेने के लिए घर से निकले हुए थे। पुरानी बाजार में पहुंचे तो इनकी सांसे फूलने लगी। वें एक सीढ़ी पर जाकर बैठ गये और अचानक ही अचेत हो गये। ऐसा देखते ही पूरे बाजार में हड़कंप मच गया। लोग उनके पास जाना तो दूर, वें जिंदा है या मर गये, यह देखना भी उचित नहीं समझे और धड़ाधड़ अपनी दुकानें बंद कर भाग खड़े हुए।
सीढ़ी पर पड़े अचेतावस्था में पड़े अधेड़ की कब सांसे थम गई किसी को पता नहीं चला। अततः सूचना के घंटों बाद पहुंची पुलिस व प्रशासन की टीम ने व्यक्ति के शव को कब्जे में ले लिया। हालांकि इस बाबत सीएचसी प्रभारी डॉ प्रभात कुमार यादव ने कहा है कि यह जनरल मृत्यु होना है। सीने में दर्द के कारण मौत हुई है। कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहा है। क्योंकि संक्रमण होता तो एक-दो दिन बीमारी से झेलना पड़ता। डॉ यादव ने बताया कि उनके बेटे व परिवार वालो का सैम्पल नही लिया जाएगा। इनके दोनों पुत्रों का नाम राजेश और सनी है।