बनारस में सप्तर्षि आरती की परंपरा टूटी, मंदिर गेट पर ही सप्त ऋषियों ने की आरती, पूर्व विधायक ने की प्रशासन की निंदा
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक अजय राय ने बाबा विश्वनाथ की सप्तर्षि आरती पर प्रशासन द्वारा परंपरा ध्वंस की आज की कार्रवाई को काशी की धार्मिक आस्था एवं संस्कृति की स्थापित विरासत के साथ खिलवाड़ का हठ करार देते हुये मंदिर प्रशासन के रवैये की कड़ी निन्दा की है।
उन्होंने कहा कि प्रशाशन को काशी की जन आस्था की विरासत और बाबा विश्वनाथ की अर्चना की शताब्दियों से स्थापित मर्यादा को इस तरह तार-तार करने कि कोई अधिकार नहीं है।पूर्व विधायक ने कहा है कि मंदिर प्रशासन विश्वनाथ जी से जुड़ी सदियों पुरानी परम्पराओं को उलट पुलट करने कि कोई अधिकार नहीं रखता। उसकी भूमिका मंदिर के स्वामी की नहीं, उसके प्रबन्धन में सहयोग तक संकुचित है।
उन्होंने कहा कि अपनी सीमा का अतिक्रमण कर आज प्रशासन ने जिस तरह से बाबा विश्वनाथ की अर्चना की स्थापित परम्परा को सड़क पर उतार दिया, वह शर्मनाक और निन्दनीय है। काशी के लोग बाबा से जुड़ी परम्पराओं के ध्वंस को कभी भी सहन नहीं करेंगे। अतः यदि मंदिर प्रशासन ने आज की गलती के लिये खेद प्रकट कर परंपरा तोड़ने का परिमार्जन नहीं किया, सत्याग्रह के सभी संभव तरीकों से काशीवासी मुखर विरोध करेंगे।
आपको बता दें कि बनारस में सदियों सप्तर्षि पुजारियों द्वारा बाबा विश्वनाथ के आरती की परंपरा है। जिसके लिए आज भी सप्तर्षि मंदिर पहुंचे हुए थे। लेकिन प्रशासन ने कोरोना हवाला देते हुए उन्हें मंदिर में प्रवेश से रोक दिया। जिसके विरोध में गुड्डू महाराज सहित सभी पुजारियों ने चार नंबर गेट के सामने मेन रोड पर ही सप्त ऋषि आरती किए।