51 वर्षाे की टूटी परंम्परा, इस बार घाट पर नहीं सजी ठहाकों की महफिल, निराश दिखे लोग


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जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। काशी की अजीबोगरीब परंम्पराओं में प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल को राजेंद्र प्रसाद घाट पर विधि विधान के साथ होने वाला विश्व विख्यात कार्यक्रम महामूर्ख सम्मेलन भी शामिल है। जो 51 वर्षाे से अनवरत जारी है। लेकिन कोरोन के लॉकडाउन में यह 51 वर्षाे की परंम्परा भी टूट गयी। जिससे आयोजन समिति के साथ ही लोग भी निराश हुए। 
लगातार 51वर्षाे से चली आ रही यह परंम्परा गंगा तट के राजेंद्र प्रसाद घाट पर एक अप्रैल को आयोजित होती है जिसमें दूल्हन दूल्हा का रुप लेती है तो दूल्हा दूल्हन का रुप लेता है। इस शाम से देर रात तक चलने वाले इस आयोजन से पूरा घाट हसीं ठहाकों से गूंज जाती है। लेकिन लॉकडाउन के चलते यह परंम्परा इस बार टूट गयी। आयोजन समिति के संयोजक सुदामा तिवारी उर्फ सांड बनारसी ने बताया कि  इस साल यह आयोजन अपने 52 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा था। लेकिन लाकडाउन के आदेश ने इस कार्यक्रम के आयोजन पर ताला लगा दिया। तैयारी पूरी की गयी थी। बताया कि पहली बार इस मूर्ख मंडल ने अकल की बात की और कोरोना जैसी महामारी से लड़ाई लड़ने में सरकार के साथ खड़े होने का फैसला करते हुए इस कार्यक्रम को स्थगित किया। अगर आगे समय मिला तो कार्यक्रम किया जाएगा । 
कर्फ्यू में हुआ था यह कार्यक्रम 
सुदामा तिवारी ने बताया कि महामूर्ख सम्मेलन की परंम्परा कभी टूटी नही थी यहां तक कि इस तारिख पर अगर कभी कर्फ्यू भी लगा था तो स्वर्गीय धर्मशील चतुवेर्दी जी के संयोजन में यह कार्यक्रम उनके घर पर ही हुआ था।  लेकिन इस बार पूरी तरह से सरकारी आदेश का पालन करते हुए इस कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला पूरी समिति ने लिया है।


 


 


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