कैसे हो मिट्टी की जांच? बढ़े मॉडल विलेज, स्वाइल टेस्टिंग का बढ़ा वर्कलोड और मैनपावर कम!


चांदपुर के क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में कर्मचारियों का टोटा


अन्नदाताओं को खुद मिट्टी की जांच कराने के लिए नहीं कर सके प्रेरित


कृषि विभाग की विभिन्न स्तर पर लगायी गयी टीमें ही जुटाती है नमूने

जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। चांदपुर क्षेत्र के कलेक्ट्री फार्म स्थित क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में स्टाफ का टोटा है। मैन पावर कम होने के कारण स्वाइल टेस्ट में कर्मचारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। शासन की नयी व्यवस्था के अंगर्तत अब ग्रिड आधारित मिट्टी की जांच के बजाय चयनित गांवों में जोत आधारित सैंपलिंग करने की व्यवस्था दी गयी। फलस्वरूप लैब के कर्मचारी वर्कलोड में हैं। 
किसी भी फसल के लिए खेती शुरु से पहले मिट्टी की जांच कराने के बारे में विभिन्न स्तर पर किसानों को जागरूक किया जाता है। शासन ने भी स्वाइल टेस्टिंग पर काफी जोर दिया है। तमाम कवायदों के बावजूद ऐसे किसानों की संख्या अंगुलियों पर ही गिनी जा सकती है जो स्वयं अपने खेत की मिट्टी की जांच के लिए सैंपल लेकर प्रयोगशाला में पहुंचे।
इस काम के लिए कृषि विभाग की कई इकाइयों को मिट्टी के नमूने लेने और उसका परीक्षण कराने के बाद रिपोर्ट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी मिली है। यानी महकमे की टीम खुद आगे बढ़कर किसानों के खेतों की मिट्टी लेती है। तमाम कवायदों के बावजूद कृषि विभाग इस दिशा में अन्नदाताओं को जागरूक करने पर अबतक असफल है।
अब क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला का हाल देखें तो यहां परिचर के छह पदों में से तीन खाली चल रहे हैं। इन परिचरों की जिम्मेदारी है कि वह लैब की साफ-सफाई के अलावा मिट्टी को साफकर जांच के लिए सैंपल को उपयुक्त ढंग से तैयार कर उन्हें क्रमवार लागा है। तैनात तीन परिचर में से एक चौकीदार की भूमिका में है।
वहीं, शेष दो परिचरों में से एक महिला है। महिला परिचर से लैब का काम यह कहकर नहीं लिया जाता कि वह इस कार्य के लिए उपयुक्त नहीं है। वहीं, प्रयोगशाला में ग्रुप-ए के सभी तीन पद खाली चल रहे हैं। यदि यह पद भरे हों तो उन कर्मचारियों का दायित्व स्वाइल टेस्ट कर रिपोर्ट बनाना है। इसीप्रकार ग्रुप-बी के सात पदों में से एक रिक्त है।
इन पदों पर तैनात स्टाफ का काम भी तकनीकी ही है। ग्रुप-सी में सभी दो पद भरे हैं। लैब में मिट्टी की सामान्य जांच के लिए 29 रुपये प्रति सैंपल का रेट है। जबकि सामान्य और सूक्ष्म जांच एकसाथ कराने का शुल्क 102 रुपये प्रति नमूना लिया जाता है। पूर्व में शासन ने ग्रिड आधारित स्वाइल टेस्टिंग की व्यवस्था के तहत प्रत्येक विकास खंड में एक गांव को मॉडल विलेज बनाकर मिट्टी की जांच कराती थी।
अब नयी व्यवस्था के तहत प्रत्येक ब्लाक के तीन गांवों को मॉडल विलेज के तौर पर लेकर उन गांवों के शत-प्रतिशत किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच की प्रक्रिया अपनायी जा रही है। प्रयोगशाला के कुछ कर्मचारियों की मानें तो लैब में मैनपावर कम होने के चलते मिट्टी की जांच और उसकी रिपोर्ट तैयार करने में देरी होती है।
इस बारे में पूछे जाने पर लैब के रामा प्रसाद सिंह ने दो टूक कहा कि खाली चल रहे स्वीकृत पदों के कारण किसी प्रकार की समस्या नहीं है। सबकुछ मैनेज कर लिया जाता है। प्रयास के बावजूद विभाग के सहायक निदेशक मृदा परीक्षण एवं कल्चर राजेश कुमार राय की प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी।


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