बजट 2020 से असंतुष्ट दिखें कर्मचारी, बोले, महंगाई भत्ता छह फीसदी करने की थी जरूरत
मोदी सरकार ने की राज्य कर्मचारी की अनदेखी
आयर में विकल्प का मतलब नहीं मिलेगी राहत
केंद्रीय वित्त मंत्री ने उठाया कर्मचारी विरोधी कदम
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। राज्य सरकार के विभिन्न कर्मचारी संगठनों से जुड़े कर्मचारी नेताओं ने मोदी सरकार के आम बजट पर असंतोष व्यक्त किया है। उन्होंने उन्होंने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छोटे पदों पर तैनात राज्य कर्मियों के हित में किसी प्रकार की सकारात्मक पहल नहीं है। फलस्वरूप केंद्र का यह बजट न तो किसी भी स्तर पर उल्लेखनीय है और न ही राहत भरा।
उत्तर प्रदेश संभागीय परिवहन कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष लवकुमार सिंह ने कहा कि आम बजट में राज्य कर्मचारियों को अपेक्षित राहत नहीं दी गयी है। 20 फीसदी के स्लैब को दस प्रतिशत में रखा गया है। महंगाई भत्ते को लेकर सही ढंग से कार्य नहीं हो रहा है। किसी भी क्षेत्र में महंगाई कम नहीं हुई। महंगाई भत्ता पांच से छह फीसदी करने की जरूरत थी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष शशिकांत श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार द्वारा किसी प्रकार की राहत छोटे कर्मचारियों को नहीं दी है। टैक्स में छूट की हुई घोषणा में कर्मचारी चाहें तो पुरानी व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स दे सकते हैं। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था लागू करना यह साबित करता है कि किसी भी प्रकार से राहत की उम्मीद न की जाय।
उन्होंने कहा कि उम्मीद यह थी कि समूह ग एवं घ के कर्मचारियों को आयकर से मुक्त रखे जायेगा। कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये मासिक हो और कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलेगी। परंतु आम बजट में ऐसा कुछ नहीं था। वहीं, पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने की कोई घोषणा भी नहीं की गयी। कर्मचारी नेता दिनेश सिंह एवं शैलेंद्र सिंह चंदेल ने कहा कि विभिन्न श्रेणी राज्य कर्मचारियों को इनकम टैक्स से बाहर कर मोदी सरकार ने कर्मचारी विरोधी कदम उठाया है। केंद्र सरकार देश से निवेश संस्कृति को खत्म करने पर तुली हुई है। इससे भविष्य में सभी सेक्टर को काफी नुकसान होगा और आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा।
कर्मचारी नेता श्याम राज यादव ने कहा कि वित्त मंत्री ने आयकर में मिडिल क्लास को राहत देने का दावा किया है लेकिन राहत सिर्फ उन्हें मिलेगी जो बचत नहीं करते हैं। किराए के घर में नहीं रहते या जिन्होंने लोन नहीं लिया है। वित्त मंत्री के इस बजट से राज्य कर्मचारी हताश हो गये हैं। उत्तर प्रदेश पेंशनर्स कल्याण संस्था के जिलाध्यक्ष राजेश्वर पांडेय के अनुसार केंद्रीय बजट में यदि पांच लाख रुपये तक की छूट है तो हम उसका स्वागत करते हैं। क्योंकि 80 फीसदी पेंशनर्स इसी दायरे में आते हैं।