मिजार्पुर के राजगढ़ में मिला सोनभद्र के जीवाश्म
पुरातात्विक
प्रतिरूप का परीक्षण किया बीएचयू इतिहासकार ने
बतायी ऐतिहासिक और भौतिक शोध की जरूरत
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। विंध्य पर्वत श्रृंखला की वादियों में बसा राजगढ़ क्षेत्र अपने उदर में असीम धरोहर लगभग सालभर पहले राजगढ़ पुलिस चौकी के बगल में स्थित प्राचीन बड़वा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग एवं उसके आसपास के पत्थरों पर जीवाश्म पाया गया। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों ने इसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिक प्रोफेसर सुभाष यादव से इसकी पुष्टि कराई।
रविवार को उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो इसकी आयु कम से कम सवा सौ करोड़ वर्ष होनी चाहिए। प्रोफेसर ने मेल पर भेजी इनकी तस्वीरों को देखकर इसके बारे में पता कराया। उन्होंने बताया कि विश्व धरोहर के रूप में सोनभद्र जिले के सलखन क्षेत्र में पाए गए जीवाश्म धरोहर का हूबहू प्रतिरूप राजगढ़ क्षेत्र में भी है। उन्होंने कहा, पुराने पत्थर पर क्षरण एवं उस समय उस पर से गुजरे जानवरों के पद चिह्नों के प्रतीक हैं।तस्वीरों को देखकर कुछ अधिकृत रूप से नहीं कहा जा सकता। यदि ऐसा है तो इसका पहले भौतिक सत्यापन होना चाहिए और फिर भूगर्भ वेत्ता इसकी आयु का निर्धारण करेंगे। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो जल्द ही इसे यहां से उठाकर सुरक्षित पुरातत्व विभाग के सोनभद्र के शिवद्वार स्थित संग्रहालय में रखा जाना चाहिए।
हालांकि शोर- शराबा तो बहुत हुआ लेकिन उसके बाद मामला ठंडा पड़ गया। एक वर्ष बाद भी क्षेत्र में मिले फासिल्स जीवाश्म की सुरक्षा न के बराबर है। आसपास के लोग जीविकोपार्जन के लिए उन पत्थरों को तोड़कर पुरानी धरोहरों को मिटाने में लगे हुए हैं। शासन प्रशासन की ओर से भी इसे संरक्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इन पहाड़ियों में उगते हुए सूरज, चांद, गाय के खुर का चित्र आज भी देखे जा सकते हैं। इन्हें लोग तोड़कर जमीन कब्जा करने में लगे हुए हैं। जागरूक लोगों ने मांग की है कि इसको उठाकर सुरक्षित म्यूजियम में रखवाया जाए ताकि इस पर अध्ययन किया जा सके।