हैं बड़ी हस्ती तो जेल और अस्पताल दोनों जगह मस्ती
-डॉक्टरों की मेहरबानी से बंदियों की कट रही थी चांदी
-इस खेल की भनक लगते ही एसएसपी के तेवर सख्त, वापस जेल लौटे बंदी
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। जेल से बाहर मौज करने का अपराधियों ने नई युक्ति निकाल ली है। इस युक्ति में उनका साथ दे रहे हैं भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर। डॉक्टरों के परामर्श से करीब आधा दर्जन नामचीन बंदी सलाखों के बाहर अस्पताल में अपना नया ठिकाना बना लिये थे लेकिन एसएसपी के सख्त तेवर के बाद। बीएचयू में इलाज करा रहे छह बंदियों में दो वापस जेल में वापस लौट आये। जबकि एक जमानत पर और तीन अभी बाहर है। एसएसपी के सख्त तेवर से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया।
लंबे समय से अस्पताल में इलाज के नाम पर मलाई काट रहे इन बंदियों की खोज के लिए एसएसपी ने जिलाधिकारी से मेडिकल बोर्ड के गठन कर स्वास्थ्य जांच कराने की बात कही थी। जिलाधिकारी के निर्देश पर गठित बोर्ड ने जो रिपोर्ट दी उसके बाद से दो बंदियों को वापस जेल में लाया गया।
बड़े अपराधियों और धन पशुओं के बीमारी के बहाने जेल से अस्पताल में शिफ्ट होना कोई नई बात नहीं है। अपराधी महीने महीने भर अस्पताल में ऐश करते है और यहीं से आसानी से गिरोह का संचालन और लंबित मामलों को प्रभावित करते हैं। ऐसा नहीं कि अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं होती लेकिन रसूख के चलते और पैसे के बल पर ये अपनी सेटिंग कर लेते हैं और इस खेल को जारी रखते हैं।
डीएम के निर्देश पर मेडिकल बोर्ड गठित कर दी जांच
एसएसपी के मिले पत्र पर जिलाधिकारी ने सीएमओं को निर्देशित किया कि जिले जेल में बंद छह कैदियों जो मेडिकल के अधार पर लंबे समय से इलाज करा रहे हैं उनकी जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर सच्चाई को उजाकर किया जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस तरह का काम क्रिमनल जस्टिस सिस्टम को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने सीएमओं से तत्काल रिपोर्ट देने को कहा था। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद बंदियों का वापस भेजा गया।
छह बंदी की तैनाती में सात पुलिसकर्मी
जिला जेल प्रशासन द्वारा एसएसपी को बताया कि गया कि 19 जनवरी रविवार को अवकाश के चलते बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पतला बंद था। ऐसे में मुख्य चिकित्साधिकारी से मुलाकत नहीं हो सकी। इस बीच जेल प्रशासन ने वहां बंदियों की चेकिंग की गई और पुलिस के जवानों की संख्या।
फतेहगढ़ कारागार अधीक्षक ने बीएचयू एमएस मांगी रिपोर्ट
फतेहगढ़ से मेडिकल ट्रीटमेंट पर बीएचयू आये डॉन सुभाष सिंह ठाकुर को डिस्चार्ज नहीं किये जाने के संबन्ध में फतेहगढ़ जेल प्रशासन से यहां के एमएस से जवाब मांगा है। एमएस को लिखे पत्र में जेल प्रशासन ने इलाज की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। जेल अधीक्षक ने बीएचयू एमएस को लिखे पत्र में पूछा है कि बंदी के उपचार में चार सप्ताह का समय लगने की बात अस्पताल प्रशासन ने कही थी जबकि आठ सप्ताह का वक्त बीत गया है। ना ही बंदी को डिस्चार्ज किया गया ना ही यहां रखने का कारण बताया गया। जबकि बंदी की निगरानी के लिए नौ पुलिस तैनात है। फतेहगढ़ जेल में बंद अन्य बीमार कैदियों को पुलिस गार्ड निगरानी में इलाज के लिए भेजा जाना है।