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चकिया प्रीमियर लीग के फाइनल में केजीएन क्लब ने धनावल को दी शिकस्त, यह रहे मैच के हीरो

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जनसंदेश न्यूज चकिया/चदौली। आदित्य नारायण राजकीय इंटर कालेज के मैदान में शुक्रवार को चकिया प्रीमियर लीग के फाइनल मैच का आयोजन हुआ। मैच में केजीएन क्लब चकिया की टीम ने धनावल कला को 22 रनों से शिकस्त दी। मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाले सूरज को मैन आॅफ दी मैच और धनावल टीम के शनि को मैन आॅफ दी सीरिज का पुरस्कार मिला। टास जीतकर केजीएन ने बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। निर्धारित 10 ओवरों में 8 विकेट खोकर 80 रनों का लक्ष्य दिया। सूरज 18 रन, सुहेल खान 22 रन, लालू यादव 20 रन धनावल के तरफ से गेंदबाजी मे विनो 2 विकेट, हिमान्शु 2 विकेट, सतीष व राजेश 1-1 विकेट लिए। जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी धनावल की टीम ने 52 रनों पर आलआउट हो गई। जिसमें राज 16रन, हिमांशु 20 रन, शनि 17 रन बनाये। गेंदबाजी में केजीएन के तरफ नवीन 3 विकेट, सूरज 4 विकेट झटके। केजीएन ने 22 रनों से फाइनल जीत लिया। फाइनल मैच में मुख्य अतिथि डा प्रदीप चैरसिया (बीएचयू) के हाथो विजेता टीम को ट्राफी प्रदान किया गया। विशिष्ट अतिथि रहे नन्देश सिंह चैहान के हाथों मैन आॅफ द सीरिज का पुरस्कार धनावल कला के शनि को मिला। समाजसेवी मुस्ताक अहमद खान क

उपाधि के लिए विवि का चक्कर काटने को छात्र विवश, 2019 में परीक्षा पास कर अब तक कर रहे इंतजार

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संविवि के हजारों छात्रों को अब तक प्राप्त नहीं हो सकी है स्थायी उपाधि मनोज कुमार वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सत्र 2018-2019 के हजारों छात्रों को अब तक स्थायी उपाधि नहीं मिल सकी है। परेशान छात्र विश्वविद्यालय का चक्कर काटने को विवश है। कोरोना महामारी के कारण शास्त्री व आचार्या के छात्रों की उपाधि अब तक तैयार नहीं हो सकी है। जिसके कारण विद्यार्थियों को अस्थाई उपाधि से ही काम चलाना पड़ रहा है। इसको लेकर छात्रों में रोष भी है।  विश्वविद्यालयों में प्रति वर्ष दीक्षांत समारोह का आयोजन होता है। जिसमें मेधावी छात्रों को तो तत्काल स्थायी डिग्री प्रदान की जाती है, बाकि छात्रों को एक साल बाद स्थायी डिग्री दी जाती है, हालांकि उनको अस्थायी डिग्री तत्काल प्रदान कर दी जाती है। लेकिन वह छह माह के लिए ही वैध होती है। ऐसे में छह माह के बाद छात्रों को अस्थाई उपाधि के लिए दोबारा शुल्क जमा करना पड़ता है।  सत्र बीतने के लगभग दो साल बाद भी अभी तक विद्यार्थियों को स्थायी उपाधि नहीं प्राप्त हो सकी है। जिसके कारण विद्यार्थियों के सामने गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय मेधाविय

काशी विद्यापीठ में शोध के लिए निकलेगा आवेदन, अब साल में दो बार होगी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा

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नए शोध अध्यादेश में की गई है यह व्यवस्था मनोज कुमार वाराणसी। शोध के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पीएचडी के लिए आवेदन निकालने वाला है, हालांकि इस अभी कोई तिथि तय नहीं हुई है। उम्मीद है कि इसी महीने आवेदन निकल सकता है। बीते दिनों आईक्यूएसी (इंटरनल क्वालिटी कंट्रोल सेल) की बैठक में साल में दो बार शोध प्रवेश परीक्षा कराने को लेकर हुई थी। जिसपर विश्वविद्यालय ने अमल किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन साल में दो बार पीएचडी की प्रवेश परीक्षा कराने की तैयारियां भी शुरू कर दी है। हाल ही में हुए विद्यापरिषद की बैठक में पारित किये गये नये शोध अध्यादेश में यह व्यवस्था की गई है।  विश्वविद्यालय के इस फैसले से पीएचडी के इच्छुक उन तमाम छात्रों को सहुलियत मिलेगी,जो शोध में रूचि रखते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय के बाद शोध के इच्छुक विद्यार्थियों को लंबे समय समय तक शोध में पंजीकरण के लिए इंतजार भी नहीं करना होगा। कुलसचिव डॉ. साहब लाल मौर्या ने बताया कि नए शोध अध्यादेश के मुताबिक विश्वविद्यालय में तैयारियां चल रही है, संभवतरू इसी महीने प्रवेश परीक्षा के लि

अदृश्य शक्तियां मिले तो पूरी दुनिया घूमूंगा

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डाॅ. दिलीप सिंह इंदौर। अदृश्य होने की शक्ति पाने की इच्छा  हमारे मन में बचपन से ही मौजूद होती है।  साथ ही अपने कुछ शरारती और मजेदार विचारों को पूरा करने की लालसा भी हमारे मन में होती है। सोनी सब के शो हीरोरू गायब मोड आॅन से हमारे अपने हीरो-वीर (अभिषेक निगम) ने एक बार फिर से अदृश्य होने की शक्ति मिलने की इच्छा को मन में जगा दिया है, चाहे वो किसी के सामने आकर अचानक से उन्हें डराना हो यह फिर जरूरतमंदो की मदद करना हो।  हम सभी का अदृश्य होने पर अपना एक विचार है, लेकिन हर किसी के अंदर एक छुपा हुआ बच्चा जरूर होता है जो अदृश्य होकर घर में बहुत उछल कूद करना चाहता है। जबकि अपना हीरो  अपने पिता की असलियत दुनिया के सामने लाने और साथ ही उन्हें निर्दोष साबित करने के उद्देश्य को पूरा करने में व्यस्त है, हमारे सोनी सब के कलाकारों ने भी बताया कि अगर उन्हें अदृश्य होने की शक्ति मिलती है तो वो क्या करेंगे।  अलादीनरू नाम तो सुना होगा के अलादीन उर्फ सिद्धार्थ निगम पूरी दुनिया में घूमना चाहते हैं, ष्अगर मुझे अदृश्य होने की शक्तियां मिल जाएंगी तो मैं पूरी दुनिया में  घूमना चाहूंगा वो भी बिना कोई पैसा दिए, जह

नेहा पेंडसे निभायेंगी अनिता भाबी का किरदार

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डाॅ. दिलीप सिंह इंदौर। दर्शकों का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया! भारत की चहेती अनिता भाबी कौन बनेंगी, इस बात को लेकर हो रही जोरदार चर्चाओं और अटकलों पर अब विराम लग गया है। सारे अनुमानों को दरकिनार करते हुए, इस शो के मेकर्स, बिनेफर कोहली और संजय कोहली ने आखिरकार नेहा पेंडसे को एण्डटीवी के कल्ट शो ह्यभाबी जी घर पर हैंह्ण के लिये चुन लिया है। यह खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्री इस शो में अनिता भाबी का किरदार निभायेंगी। काफी लंबे इंतजार के बाद विभूति नारायण मिश्रा (आसिफ शेख) अपनी पत्नी से मिलेंगे। विभूति और इस नई गोरी मेम के बीच की यह केमेस्ट्री निश्चित रूप से मजेदार और दिलचस्प होने वाली है। और हां इस बीच अपनी प्यारी भाबी के आस-पास मंडराते मनमोहन तिवारी (रोहिताश गौड़) और उनकी मजेदार हरकतों को नहीं भूलना चाहिये। शो में और जान लाने के लिये नेहा एक नये अवतार में नजर आने वाली हैं, जोकि ग्लैमर, ह्नयूमर और एंटरटेनमेन्ट की पूरी डोज देने के लिए तैयार है। इस शो से जुड़ने की अपनी उत्सुकता बयां करते हुए, नेहा पेंडसे कहती हैं, पिछले कई महीनों से इस बात को लेकर चर्चाएं और अटकलें जोर-शोर से चल रही थीं कि आखि

‘एक महानायक’ ने पूरे किए 200 एपिसोड्स

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डाॅ. दिलीप सिंह इंदौर। एण्डटीवी के शो ‘एक महानायक डॉ बी. आर. आम्बेडकर’ ने हाल ही में 200 एपिसोड्स पूरे कर लिए हैं। शो के सभी कलाकारों और तकनीशियन दल के सदस्यों ने इस उपलब्धि पर सेट पर एक साथ केक काटा। सभी ने एक-दूसरे को सफलता की बधाई दी और अब तक इस शो को अपने दर्शकों से मिली सरहाना और प्यार का जश्न मनाया। रामजी सकपाल की भूमिका निभाने वाले जगन्नाथ निवानगुने और भीमाबाई की भूमिका निभाने वाली नेहा जोशी ने अपने दर्शकों का धन्यवाद किया और साथ ही इस प्यारे से सफर की यादें भी साझा की। जगन्नाथ निवानगुने ने कहा, श्हम सभी ने किताबों या फिर इंटरनेट के जरिए बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में पढ़ा है। लेकिन मैंने इस शो से जो सीखा है वो इन सबसे बिलकुल परे है। रामजी सकपाल की भूमिका निभाने और जिस संघर्ष से बाबासाहेब गुजरे है, उसे देखने का अनुभव बहुत ही शानदार रहा है, क्योंकि इसी चीज ने उन्हें अब तक का सबसे बड़ा लीडर बना दिया है। उन्होंने जो सीख और ज्ञान दिया, वो आज के समय में भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।श्  उन्होंने आगे कहा, श्साल 2021 में इस शो में कुछ मजेदार घटनायें देखने को मिलेंगी। इनकी शुरूआत एक ऐसी घ

सामुदायिक भवन पर कब्जा, पति ने चलायी गांव की सरकार, इस गांव की निवर्तमान ग्राम प्रधान रहीं सिर्फ स्टांप पेपर

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- ह्यूम पाइप लगाकर उखाड़ दिए गये खड़ंजे को नहीं बनवाया गया दोबारा - पात्रों को आवास नहीं, पड़ोसियों की दया पर पहुंच पाते हैं अपने घर तक - खेल मैदान पर दबंगों का कब्जा, कब्रिस्तान को ही बना लिया प्ले ग्राउंड जनसंदेश न्यूज चिरईगांव। उमरहा ग्राम पंचायत की निवर्तमान ग्राम प्रधान सुनीता सिंह ने अपने बीते पांच साल कार्यकाल में स्टांप पेपर की भूमिका में रहीं। गांव वाले कहते हैं कि उन्होंने सिर्फ कागजों पर ही गांव की सरकार चलायी। कामकाज तो उनके पति सुबीर सिंह ने संभाला। सिर्फ यही नहीं, सरकारी भवनों पर वॉल पेंटिंग में ग्राम प्रधान के नाम के साथ सुबीर ने अपना नाम भी लिखवा लिया। कई अन्य गांवों की तरह इस ग्रामसभा में भी विकास कार्यों को लेकर कहीं स्थानीय जनता में नाराजगी है तो कोई कार्यों को लेकर संतोष भी व्यक्त कर रहा है। चिरईगांव विकास खंड उमरहा ग्राम पंचायत का कार्यकाल ख्रत्म हो चुका है फिर भी यहां केलोग सुबीर सिंह को ही ग्राम प्रधान के तौर पर जानते और मानते हैं। गांव की आबोहवा कुछ ऐसी है कि यहां से एक आईपीएस निकले हैं। साथ ही सैकड़ों लोग पुलिस और रेलवे में नौकरी करते हैं। आगामी त्रिस्तरीय पंचायत